शनि-पर्वत कल्पनाशीलता, सदाचार, संपती, एकांत प्रियता, शांत स्वाभाव, कृषि सम्बन्धी कार्य करने का स्वाभाव, गुप्त विद्याओं का ज्ञान आदि का सूचक होता है।
अगर इस पर्वत का प्रभाव अधिक हो तो व्यक्ति दुर्बल, ऑंखें पीली और दांत बड़े होते हैं, सुडौल अंगों वाला व तमोगुणी होता है। ऐसे व्यक्तियों की आयु का 35 वर्ष से 42 वर्ष का समय शुभ फल देता है।
यदि शनि पर्वत का बुरा प्रभाव हो तो व्यक्ति दुःखी, व्यभिचारी, जुआरी, अपव्ययी, मुर्ख व आत्महत्या वाले गलत विचारों को मन में रखने वाले होते हैं।
# शनि-पर्वत उन्नत होने पर व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और उनके मन के काम समय पर पूरे होते हैं इन्हें भाग्यशाली व्यक्तिओं की श्रेणी में रखा जाता है।
# शनि-पर्वत का सामान्य रूप से उन्नत होना यह बतलाता है कि व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में पूर्ण रूप से सफल नहीं होगा। उसमे साहसिक कार्य करने की क्षमता तो होती है परन्तु मन की मुताबिक फल न मिलने की वजह से जल्दी ही निराश हो जाता है और कार्य क्षेत्र ही बदल लेता है।
# शनि पर्वत सामान्य रूप से उन्नत हो और साथ में अँगुली लम्बी व गठीली होने पर व्यक्ति निराशावादी होता है। वह मानसिक रूप से अशांत और कम सहनशील होता है।
# इस पर्वत का सामान्य से अच्छा होना व स्वतंत्र रूप से दिखाई देना या बतलाता है कि व्यक्ति एकांत में रहना पसंद करता है और घर-बाहर की चिंता नहीं करता। अपने लक्ष्य को प्राथमिकता देते हुए उसमे सफलता प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति इंजीनियर, डॉक्टर, सलाहकार, लेखक, तांत्रिक व ज्योतिषी होते हैं।
# इस पर्वत का उभार सामान्य से अच्छा और इसके साथ
- अँगुलियों का प्रथम पोर का लम्बा होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति गुप्त विद्याओं का ज्ञान रखने वाला व बुद्धिमान है। व्यक्ति को अकेले जीना पसंद होता है और इस प्रकार वे पारिवारिक व सामाजिक दृष्टिकोण से शून्य होते हैं।
- मध्यमा अँगुली का द्वितीय पर्व लम्बा हो तो व्यक्ति लोहे के व्यापार में या अनुसन्धान क्षेत्र में विशेष रूप से सफल रहते हैं।
- मध्यमा अँगुली का तृतीय पोर लम्बा हो तो व्यक्ति धोखेबाज और चालाक होता है उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
# गुरु-पर्वत की तरफ शनि-पर्वत का झुकाव यह बतलाता है कि व्यक्ति आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से अच्छा और संपन्न होता है। अपने मन के कामों को पूरा करने और अपना लक्ष्य पाने में सफल रहता है।
# सूर्य- पर्वत की ओर शनि-पर्वत का झुका हुआ होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति भाग्य के भरोसे ही रहता है व काम को प्रधानता नहीं देता। व्यक्ति निराशावादी होते हैं और भाग्य-परीक्षण में ही अपना जीवन व्यतीत करता है।
# सूर्य और शनि पर्वत के मिले होने पर व्यक्ति जीवन से हताश हो जाता है और इस वजह से आत्महत्या तक कर लेता है।
# बुध और शनि-पर्वतों का उभार समान प्रतीत हो तो व्यक्ति चिकित्सा व व्यापार के क्षेत्र में विशेष रूप से सफल होता है और धन के साथ यश व मान भी मिलता है।
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