# शुक्र-पर्वत इच्छाशक्ति, सौंदर्य, प्रेम की लालसा, स्त्रीसुख, पत्नी, आभूषण, काम-क्रीड़ा, संगीत-प्रेम, स्वच्छ एवं सुन्दर हस्तलिपि, कला-प्रेम, बिलासिता, सदाचार, प्रभाव, व्यावसायिक अभिरुचि, ज्योतिष-ज्ञान, गुप्त विद्याओं पर अधिकार, परोपकार आदि प्रवृत्तियों का सूचक होता है।
इस पर्वत का अच्छा प्रभाव हो तो व्यक्ति श्यामवर्ण, बड़े और सुन्दर आँखों वाला, घुंघराले बाल वाला, रजोगुणी व कलाकार प्रवृत्ति का होता है। अगर इस पर्वत का प्रभाव अच्छा नहीं है तो व्यक्ति व्यभिचारी, निर्लज्ज, अहंकारी, सुस्त, स्वार्थी और कान से कम सुनने वाला होता है।
• उन्नत शुक्र-पर्वत होने पर व्यक्ति परोपकारी स्वभाव, बुद्धिमान, अहंकारी और विलास-प्रिय होता है।
• सामान्य रूप से उन्नत हो तो व्यक्ति कलात्मक प्रवृत्ति का और संगीत में विशेष रूचि रखने वाला होता है। उसके मन में यह विचार रहता है कि वह जो काम कर रहा है उस कार्य से किसी को भी नुकसान न पहुंचे। खान-पान का शौकीन होता है।
• शुक्र-पर्वत विकसित न होने पर व्यक्ति विलासिता की भावनाओं में खोया रहता है और कल्पनिक विचारों में खोया रह कर फालतू ही समय बर्बाद करता रहता है।
• शुक्र के साथ गुरु पर्वत भी उन्नत हो तब इस स्थिति में व्यक्ति बुद्धिमान, स्वाभिमानी व चरित्रवान होता है वह अपने निर्णय का पक्का होता है और निर्णय लेने के पश्चात् वो इसे कभी नहीं बदलता। जिससे भी वो सम्बन्ध बनाता है उस सम्बन्ध को जीवन भर निभाता है।
#राहु-पर्वत - यह निर्णय लेने की क्षमता, भौतिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, रहस्यवादी दृष्टिकोण एवं अवसरवादिता का सूचक होता है।
• इसका उन्नत होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति अवसरवादी है। अपने स्वार्थ-सिद्धि हेतु गुप्त रहस्यों को छुपानेवाला और सोच-समझकर निर्णय लेने की क्षमता का स्वामी होता है। आर्थिक और भौतिक दृष्टि से भी मजबूत होता है।
• अगर इस पर्वत का सम्बन्ध अन्य पर्वतों से अच्छा हो तो उन पर्वतों के गुणों में कमी नहीं आने पाती। राहु उनसे सिर्फ सहयोग करता है और अगर राहु-पर्वत अविकसित है तो यह अन्य पर्वतों के गुणों में भी अड़चने पैदा करता है।
• राहु-पर्वत का अविकसित होने पर व्यक्ति क्रोधी, हठी स्वभाव का होता है और फालतू ही समय और धन की बर्बादी करता रहता है।
#केतु पर्वत - यह आर्थिक स्थिति, भौतिक सुविधा, अकस्मात फल दायक, स्वयं की बुद्धि से का करने के स्वाभाव व तमोगुणी प्रवृत्ति का सूचक है।
• केतु-पर्वत का उन्नत होना यह बतलाता है कि व्यक्ति भौतिक सुख-सुविधाओं से युक्त है और उसे जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती।
• इसके सामान्य रूप से उन्नत होने पर व्यक्ति को बचपन से ही बड़ी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। और उसका जीवन बनाने में संघर्ष करना होता है।
• दबा हुआ केतु-पर्वत यह दर्शाता है कि व्यक्ति के सभी कामों में रुकावटें आती रहती हैं।
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