गुरु-पर्वत को मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, प्रभुत्व की भावना, धार्मिकता, आत्मसम्मान, इच्छाशक्ति, प्रशासन क्षमता, उच्च पड़ पाने का अभिलाषी, कुटुम्ब में प्रीति, सत्य-भाषण, पुत्र-पौत्र का सुख, स्त्री, न्यायप्रियता, अनुशासन आदि गुणों का संकेतक होता है।
इस पर्वत का अच्छा प्रभाव है तो व्यक्ति गठीले शरीरवाला, पीत-वर्ण, घुंघराले वाल और पीली आँखों वाला होता है। ऐसे में 16 से 22 वर्ष की उम्र में व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होता है।
# गुरु-पर्वत उन्नत हो और देखने ने सुन्दर हो तो व्यक्ति स्वाभिमानी व महत्त्वाकांक्षी होता है। राजनैतिक और साहित्यिक क्षेत्र में विशेष रूचि रखने वाला, व्यवसाय व नौकरी, खेल के मैदान में अपना प्रभुत्व कायम करने वाला और वह ऐसे कार्य करना पसंद करता है जिसमें उसका एकाधिकार हो।
# गुरु-पर्वत अत्यधिक उन्नत हो तो व्यक्ति अच्छा प्रवचनकर्ता, परोपकारी, समाजसेवी और राजनेता होता है। इनके कार्य की तारीफ होती है। सहयोगियों और मित्रों को नेक सलाह देना अपना धर्म और कर्तव्य समझते हैं। जीवन में इनको स्त्री-पक्ष का सहयोग प्राप्त होता है।
# गुरु-पर्वत समतल हो तब व्यक्ति स्वार्थी होता है और अपने स्वार्थ हेतु कुछ भी कर जाता है। वासना-प्रधान और शक करने के स्वाभाव का होता है ऐसा व्यक्ति मित्रता योग्य नहीं होता।
# गुरु-पर्वत का अल्पविकसित होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति धार्मिक स्वाभाव का और स्वतंत्र विचारों वाला होता है इनकी शारीरिक और मानसिक शक्ति मजबूत होती है। किसी का भी हस्तक्षेप पसंद नहीं करता अपने कार्यों में। भावुक स्वाभाव का होता है और खुद को हर परिस्थिति के अनुसार ढाल लेने की क्षमता रखता है।
# गुरु पर्वत का झुकाव शनि पर्वत की तरफ हो तो व्यक्ति अनुसन्धान या खोज के क्षेत्र में विशेष रूप से सफल होता है पर ऐसे व्यक्ति सामाजिक और परिवारिक मामलों में विशेष सफल नहीं रहते। ऐसे व्यक्ति एकान्तप्रिय, सहनशीलता की कमी वाले और साहसिक कार्य करना पसंद नहीं करते। इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण इनके कार्यों में रुकावटें आती रहती हैं।
# नीचे की तरफ झुका हुआ गुरु-पर्वत होने पर व्यक्ति अपने उद्देश्य में असफल रहता है इनकी जल्दबाजी में निर्णय लेने की आदत होती है इन्हें लालच दे कर कोई भी गलत काम कराया जा सकता है।
# विकसित गुरु-पर्वत और अँगुलियों का नुकीला होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति तांत्रिक तथा भाग्य-परीक्षा की क्रियायों में विशेष रुचि रखता है।
# उभरा हुआ गुरु-पर्वत और अंगुलियाँ लम्बी व गांठदार होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति आरामदायक जिंदगी जीना पसंद करता है लेकिन जीने के लिए कार्य नहीं करना चाहता। व्यर्थ में धन और समय बर्बाद करता है। कल्पनालोक में खोये रहना, बदले की भावना को साकार करने और कामवासना की पूर्ति हेतु नई-नई योजनायें बनाना इनके स्वाभाव में रहता है। अतः ऐसा कहा जा सकता है कि ये लोग आपराधिक कार्यों में रूचि रखते हैं।
# गुरु और शनि पर्वत दोनों एक दूसरे से मिले हुए नज़र आयें और दोनों ही विकसित हों तो व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल होता है और यश, मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है। ऐसे लोगों की पहचानने की शक्ति अच्छी, उच्च पद को प्राप्त करने वाले, गुप्त विद्याओं में निपुण और सुखी होते हैं।
# गुरु-पर्वत और चन्द्र-पर्वत एक समान उभरा हुआ है तो व्यक्ति नीति विरुद्ध काम से दूर रहता है इनके प्रशंसक अधिक होते हैं और इनको जीवन में मान-सम्मान, यश और प्रतिष्ठा मिलती है।
# गुरु व सूर्य पर्वतों का उन्नत होना मतलब व्यक्ति व्यवहार कुशल, धार्मिक, अपने कार्यों में दक्ष व सफल वक्ता है और उसे समय-समय पर उसके मन के अनुसार सफलताएँ मिलती रहती हैं और मान-सम्मान, यश और धन की कमी नहीं रहती।
# गुरु व मंगल पर्वत उन्नत होने पर व्यक्ति में नेतृत्व की अच्छी क्षमता होती है और ऐसा व्यक्ति खेल, पुलिस या सेना आदि की प्रतियोगी परीक्षाओं में विशेष रूप से सफलता प्राप्त करता है।
# गुरु-पर्वत के साथ शुक्र-पर्वत का उन्नत होना इस बात का संकेतक होता है कि व्यक्ति प्रेम, राज्य, वैवाहिक संबन्ध, व्यापार में अपने मन की सफलता का भोगी है।
# गुरु-पर्वत का समतल सा दिखाई देना यह दर्शाएगा कि व्यक्ति की इच्छाशक्ति कमजोर है और वह दूसरों के सहारे जीने का आदि है।
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