Fingers in Palmistry

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हस्त रेखा विज्ञान में अंगुलियाँ
(Fingers in Palmistry)


जैसा की कहा जाता है सभी काम हाथ के द्वारा ही होते हैं और अँगुलियों के बिना हाथ बेकार हो जाता है अर्थात् ऐसा कहते हैं कि कर्म का माध्यम हाथ होता है और अंगुलियों के बिना हाथों का होना न होना बराबर है। हस्त रेखा विज्ञान में भी अंगुलियों का उतना ही महत्त्व है जितना कि हथेली, रेखाओं और पर्वतों आदि का अतः हस्त रेखा परीक्षण में अँगुलियों पर ध्यान देना अतिआवश्यक है।

नोट – हस्त रेखा विज्ञान में अंगूठा अपना अलग महत्त्व रखता है और यही वजह है कि इसको अँगुलियों से अलग रखा गया है। हस्त रेखाशास्त्र में अंगुलियों की बात की जाये तो सिर्फ चार अंगुलियाँ ही गिनी जाती हैं।

आइये जानते है हाथ कि बारे में विस्तार से-


हस्त रेखाशास्त्र में अँगुलियों के प्रकार
(Types of Fingers in Palmistry)


हस्त रेखा परीक्षण में प्रत्येक अँगुली का अपना अलग महत्त्व है और सभी अँगुलियों की बनावट और उनके गुण अन्य से भिन्न होते है। अँगुलियों के प्रकार की बात करें तो हस्त रेखा विज्ञान में चार प्रकार की अंगुलियाँ होती है जिनके नाम इस प्रकार हैं जिन्हें अंगूठे के बगल वाली अँगुली से गिनते हैं-

1- तर्जनी (Index Finger / forefinger)

2- मध्यमा (Middle Finger)

3- अनामिका (Ring Finger)

4- कनिष्ठिका (Little Finger)


1. तर्जनी (Index Finger / forefinger) – तर्जनी अंगूठे के बगल वाली अँगुली को कहते हैं और जैसा कि हम जानते है कि इसके नीचे हथेली के ऊपरी भाग पर गुरु पर्वत होता है तो इसमें गुरु पर्वत के सभी गुण समाहित होते हैं जैसे लेखन कार्य में माहिर, अच्छा धार्मिक प्रवचनकर्ता, बुद्धिमत्ता आदि। अगर तर्जनी देखने में छोटी लगे तो ऐसा व्यक्ति आलसी और जिद्दी प्रकृति का होता है।

तर्जनी (Index Finger / forefinger) के तीन हिस्से होते है जिनको पोर कहते हैं इनका भी अपना अलग महत्त्व होता है। सबसे ऊपर वाला हिस्सा या पोर मेष राशि, दूसरा या बीच वाला पोर वर्षभ और सबसे नीचे वाला या तीसरा पोर मिथुन राशि को दर्शाता है। प्रथम पोर अच्छी प्रवचन शक्ति, शासन की प्रवृत्ति, धार्मिकता और आत्मसम्मान आदि गुणों को दर्शाता है। दूसरा पोर जिम्मदारी, साहस और महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है और तीसरा पोर अन्य दोनों पोरों के गुणों को बढ़ावा देता है।


2. मध्यमा (Middle Finger) – ये बीच वाली अँगुली होती है इसके नीचे शनि पर्वत विद्धमान होता है इसलिए ये अँगुली शनि पर्वत के सभी गुणों को दर्शाती है। अगर अँगुली ज्यादा लम्बी हो और देखने में सुन्दर न हो तो व्यक्ति तीव्र कल्पनाशील, मानसिक अशांति से पीड़ित, धोखेबाज और स्वार्थी होता है और अगर अँगुली सुन्दर होने के साथ पतली हो तो ऐसे लोग सहनशील, विचारों की स्वतंत्रता वाले, पहचानने की तीव्र शक्ति, व्यापारिक बुद्धि और आध्यात्मिक गुणों वाला होता है। अगर अँगुली अत्यधिक लम्बी और देखने में भद्दी के साथ खुरदरे हाथ हो तो इसका प्रभाव बुरा होता है ऐसी स्थिति में व्यक्ति हमेशा कठिनाइयों में घिरा रहता है जुआ, सट्टा आदि में नुकसान झेलता है और कई परिस्थितियों में आत्महत्या तक कर सकता है।


3. अनामिका (Ring Finger) – अनामिका में शादी की अंगूठी पहनते हैं इसलिय इसे रिंग फिंगर कहते हैं ये मध्यमा और कनिष्ठिका में बीच वाली अँगुली होती है। इसके नीचे सूर्य पर्वत होता है इस वजह से इसमें सूर्य पर्वत के सभी गुण पाए जाते हैं जैसे धन, यश, बुद्धि, आत्मविश्वास, भावुकता और दयालुता आदि। यदि अनामिका, तर्जनी से बड़ी है तो व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफल होता है और व्यक्ति अधिक आत्मसम्मानी, गुणीं व धन, यश वाला होता है। अगर अँगुली अत्यधिक लम्बी हो तो व्यक्ति सट्टा- जुआ जैसे भाग्य पर निर्भर खेलों में अपना समय और पैसा बर्वाद करता है ये सब वह अपने स्वाभिमान की वजह से करता है। यदि अनामिका छोटी हो तो व्यक्ति आलसी व खुद ही अपना जीवन बर्वाद कर लेता है।


4. कनिष्ठिका (Little Finger) – कनिष्ठिका लम्बाई में सबसे छोटी और हाथ के आखिरी एक छोर पर होती है इसके नीचे बुद्ध पर्वत स्थित होता है इसलिए इसमें बुद्ध पर्वत के सभी गुण होते है जैसे सफल व्यापारी, अच्छे लेखक, अनुसंधानकर्ता व पहचान करने की अधिक क्षमता आदि। अगर कनिष्ठिका, अपने बगल वाली अँगुली (अनामिका) के दूसरे पर्व को छूती है तो ऐसे व्यक्ति अनुसंधानकर्ता, सफल व्यापारी व सभी क्षेत्रों में सफल होते हैं।


 

Author : Read Rife

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