यहाँ हम बात करने वाले है मणिबंध या कलाई (Wrist) के बारे कि कलाई से कैसे व्यक्ति के स्वाभाव और उसके गुण-दोषों का परीक्षण किया जा सकता है। हस्तरेखा विज्ञान में मणिबंध से ही हाथ को हस्त परीक्षण हेतु मान्य किया गया है। कुछ विद्वानों द्वारा सिर्फ कलाई पर पाई जाने वाली रेखाओं को ही महत्त्व दिया जाता है नखों की आकृति पर नहीं, परन्तु हस्त रेखा शास्त्र में मणिबंध या कलाई की आकृति, गठन और स्वरुप पर भी ध्यान दिया जाता है।
आइये जानते हैं कलाई या मणिबंध के स्वरुप, आकृति और गठन के आधार पर व्यक्ति के गुण-दोष।
हस्त रेखाशास्त्र के आधार पर मणिबंध या कलाई (Wrist), 6 प्रकार के हो सकते हैं –
निगूढ़, दृढ़, संश्लिष्ट, संधिहीन, शिथिल और सशब्द।
# निगूढ़ मणिबंध – हथेली व मणिबंध समतल हो और कलाई अधिक मांसल हो तो निगूढ़ मणिबंध कहते हैं। ऐसी कलाई वाला व्यक्ति सुख-सुविधा युक्त, बौद्धिक एवं प्रतिष्ठित होता है
# दृढ़ मणिबंध – यदि कलाई देखने में सुन्दर और पुष्ट तो दृढ़ मणिबंध होता है और इस प्रकार की कलाई वाले व्यक्ति व्यावसायिक होता है और ऐसी कलाई को सुख धन और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।
# सुश्लिष्ट मणिबंध – ऐसी कलाई में सन्धियाँ मिली हुई और सुन्दर आकृति में होती हैं। ऐसी कलाई या मणिबंध वीरता, साहस, पराक्रम, राजपद प्राप्ति और नीतिज्ञता को दर्शाती है।
# हीन मणिबंध – जिन कलियों के जोड़ों का पता न लगे तो ऐसे में इसे हीन मणिबंध कहते हैं। ऐसी कलाई वाले लोग दरिद्र, दुःखी और राजदंड पाने वाले होते हैं।
# शिथिल मणिबंध – अगर कलाई का जोड़ ढीला हो तो या शिथिल मणिबंध होता है और यह दुःखकारक और अशुभ सूचक होता है।
# सशब्द मणिबंध – जब हाथ को ऊपर-नीचे करने पर कलाई से कट-कट की आवाज आये तो इसे सशब्द मणिबंध कहा जाता है। यह मणिबंध दरिद्रता और दुःख का सूचक होता है।
इसके अलावा यदि किसी स्त्री का मणिबंध या कलाई निगूढ़ श्रेणी का हो और हाथ कोमल व रक्त वर्ण हो तो ऐसी स्त्री किसी ऐश्वर्यशाली पुरुषों की जीवन संगिनी बनती हैं और हर तरह से भाग्यशाली होती हैं।
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