Mangal Parvat in Palmistry

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हस्त रेखा शास्त्र में मंगल पर्वत
(Mangal Parvat in Palmistry)


मंगल-पर्वत अत्यधिक आत्मसम्मान, प्रताप, साहस, युद्धप्रियता, क्रीड़ाप्रियता, सहनशीलता, कुटुंब, जागीर, अदालती मामले, काम, विलास, स्वयं की बुद्धि से किसी कार्य को करने की चतुराई और तमोगुणी प्रवृति का सूचक होता है।

अगर इसका प्रभाव अच्छा है तो व्यक्ति का चेहरा लाल, हाथ और अंगुलियाँ मोटी व छोटी होती हैं। आँखों में क्रोध भरा दिखता है और ये लाल होती हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा चिंतामुक्त रहते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टी से अच्छे होते हैं। जमीन का सुख और पुलिस व सेना में नौकरी प्राप्त होती है। ये स्वयं की बुद्धि-विवेक से काम करनेवाले, महत्त्वाकांक्षी, स्वावलम्बी और मशीनरी व जमीन के व्यवसायी होते हैं।

अगर इस पर्वत का प्रभाव विपरीत है तो व्यक्ति झगड़ालू और दुस्साहसी स्वाभाव का, जल्दी गुस्से में आ जाना और मुकाबला होने पर समझौता भी कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों की सलाह पर ही कार्य करते हैं।

व्यक्ति की हथेली पर मंगल पर्वत को दो भागों में बांटा गया है –

मंगल-प्रथम – यह चन्द्र पर्वत से ऊपर और हृदय रेखा के नीचे तक का भाग होता है।

मंगल-द्वितीय – यह शुक्र-पर्वत के ऊपर और गुरु-पर्वत के नीचे का भाग होता है।


मंगल प्रथम पर्वत
(Mangal-Pratham Parvat)


# यदि यह पर्वत अत्यधिक उन्नत स्थिति में है तो व्यक्ति पाने कार्य में ही खोया रहता है और अपनी बातों का व उद्देश्य का पक्का होता है। जिस काम को करने की ठान लेता है उसे समाप्त करने के बाद ही रुकता है। ऐसे व्यक्ति कभी भी न्याय-अन्याय की परवाह नहीं करते।

# सामान्य रूप से उन्नत मंगल-प्रथम इस बात को दर्शाता है कि व्यक्ति स्वभाव से साहसी, व्यवहार-कुशल, अपनेपन की भावना रखने वाला व जिद्दी होता है और ऐसे व्यक्तियों के बहुत सारे प्रशंसक होते हैं।

# मंगल-प्रथम पर्वत का चपटा हो तो व्यक्ति जल्दी हताश हो जाता है और उसको मन के अनुसार सफलता नहीं मिलती।


मंगल द्वितीय पर्वत
(Mangal-Dwitiya Parvat)


# मंगल-द्वितीय अत्यधिक उन्नत होने पर व्यक्ति का स्वभाव उग्र होता है और अपने भावों को प्रकट कर देता है इनकी रूचि प्रतियोगिताओं में विशेष रूप से होती है और अपने हावभाव में ही मग्न बने रहते हैं।

# यदि यह सामान्य रूप से उन्नत है तो व्यक्ति स्वावलम्बी होता है और किसी के सहारे नहीं जीता। निर्भय होता है, व्यवसाय, नौकरी, खेल व राज्यपक्ष से सम्बंधित प्रतियोगिताओं में विशेष रूप से सफल रहता है और उच्च पड़ प्राप्त करता है।

# यदि ये पर्वत चपटा या समतल हो तो व्यक्ति का स्वाभाव झगड़ने वाला होता है और लोगों के काम में रुकावटें डालता है। इनकी कामवासना अधिक होती है।


मंगल पर्वत के गुण-दोष
(Merits and Demerits of Mangal Parvat)


मंगल और चन्द्र पर्वत उन्नत स्थिति में हों तो व्यक्ति काल्पनिक विचारों में रहने वाला, चिड़चिड़ा और एकांत में रहना पसंद करता है।

मंगल-पर्वत (प्रथम) का बुध पर्वत की ओर झुकाव दर्शाता है कि व्यक्ति अच्छा सलाहकार है और ऐसे व्यक्ति को सभी आदर व प्रेम के साथ देखते हैं। साथ ही ऐसे व्यक्ति अच्छे मित्र होते हैं।

मंगल-पर्वत (द्वितीय) और चन्द्र-पर्वत प्रबल हैं तो व्यक्ति में कलात्मक प्रतिमा होती है और इसी से वह मान-सम्मान, यश और प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है।

मंगल-पर्वत (द्वितीय) के साथ यदि बुध पर्वत भी प्रबल है तो व्यक्ति व्यवसाय में सफल होता है और सामाजिक व पारिवारिक खेत्र में प्रभुत्व को प्राप्त करता है और साहसी स्वाभाव का होता है।

मंगल-पर्वत (द्वितीय) के साथ यदि शनि-पर्वत प्रबल है तो व्यक्ति सोच-समझकर कर कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति साहसी, अन्य लोगों की भावनाओं का सम्मान करने वाले, अनुशासन प्रिय होने के साथ अच्छे मित्र भी होते हैं।


 

Author : Read Rife

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