भाग्य रेखा को कैसे पहचानते हैं इनका हस्त रेखा विज्ञान की दृष्टि से क्या महत्त्व है और इसका व्यक्ति के जीवन में क्या प्रभाव होता है ये सब हमने पिछले अध्याय में जाना यहाँ हम बात करने वाले है भाग्य रेखा से व्यक्ति के गुण-दोष क्या क्या होते हैं अर्थात भाग्य रेखा की विभिन्न स्थितियों के आधार पर व्यक्ति के जीवन में क्या क्या प्रभाव पड़ते हैं और व्यक्ति के अन्दर कौन-कौन से गुण दोष विद्दमान रहते हैं और साथ ही बात करेंगे कुछ विशेष गुणों के बारे में।
आइये जाने कि भाग्य रेखा के आधार पर या भाग्य रेखा के प्रारंभ स्थान के आधार पर व्यक्ति के गुण-दोष और उस रेखा के व्यक्ति के जीवन में प्रभाव -
# चन्द्र पर्वत से भाग्य रेखा का प्रारंभ होकर शनि पर्वत की तरफ जाना, चन्द्र पर्वत से प्रारंभ होने वाली भाग्य रेखा होती है। अगर या पतली व स्पष्ट हो तो शुभ-फल देने वाली होती है और अगर ये रेखा गहरी, मोटी या खंडित है तो अशुभ-फल देती है।
- रेखा पतली व स्पष्ट हो तो व्यक्ति का भाग्य, विवाह के बाद या किसी स्त्री के संयोग से उदय होता है। यह व्यक्ति विशेष रूप से समुद्र के पास रहता है जो जन्मस्थान से अलग होता है।
- ऐसी भाग्य रेखा स्पष्ट न हो और मोटी हो तो व्यक्ति वासनाप्रिय और कल्पनालोक में खोया रहने वाला होता है।
- अगर भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत से शुरू हो कर मस्तिष्क रेखा पर रुक जाये तब व्यक्ति को 35 वर्ष के बाद ही उन्नति मिलती है।
- हृदय रेखा पर भाग्य रेखा रुकने पर व्यक्ति प्रेम-प्रीति मामलों में अपना जीवन ख़राब करता है और उस पर गलत आरोप लगते रहते हैं। स्त्री और पुरुष पक्ष से उसके विचारों में मतभेद देखने को मिलते हैं। वैवाहिक जीवन की दृष्टि से वह सुखी नहीं होता और उसके भाग्य उदय में प्रेम के कारण रुकावटें आती रहती हैं।
- चन्द्र पर्वत से प्रारंभ और शनि व गुरु पर्वत पर समाप्त होने वाली भाग्य रेखा होने पर व्यक्ति वासना में विलीन रहता है। प्रेम सम्बन्धी मामलों में बदनाम होता है और इस कारण उस पर आरोप लगते रहते हैं।
- ऐसी रेखा के साथ गुरु पर्वत उच्च और अंगुलियाँ पतली हो तो ऐसे लोग बुद्धिमान होते हैं और राज्य में उच्च पद को प्राप्त करते हैं वह समय के हिसाब से खुद को ढाल लेने की क्षमता रखता है। परन्तु ये वासना प्रिय भी होते हैं।
# जीवन रेखा से भाग्य रेखा का आरम्भ होने पर व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला, स्वावलम्बी, न्यायप्रिय, रूढ़िवादी एवं अनुशासन पसंद करने वाला होता है। अत्यधिक स्वाभिमानी प्रवृत्ति का होएं के कारण पहले नौकरी करता है और बाद में स्वतंत्र व्यवसायी बनता है। यदि रेखा स्पष्ट नहीं है तो व्यक्ति गलत संगति में फंस जाता है।
- जो भाग्य रेखा जीवन रेखा से निकल रही हो वो भाग्य रेखा स्पष्ट हो और गुरु और सूर्य पर्वत प्रबल हों तो व्यक्ति सोच समझकर काम करने वाला होता है और संयुक्त परिवार में रहना पसंद करता है। उसकी प्रशंसा करने वाले अधिक होते हैं और ऐसे व्यक्तयों में प्रेम और सेवा भाव होता है।
- ऐसी स्थिति में अगर भाग्य रेखा टूटी हो और सूर्य व गुरु पर्वत दुर्बल हों तो व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र में सफलता नहीं मिलती। जहाँ से भी भाग्य रेखा खंडित होती है या टूटी हुई होती है उसी वर्ष से उसे घर छोड़ना पड़ता है या घर से अलग होना पड़ता है।
- भाग्य रेखा जीवन रेखा से प्रारंभ हो और हाथ कठोर हो साथ ही सूर्य, गुरु और बुध पर्वत प्रबल स्थिति में हों तो व्यक्ति बड़ा व्यवसायी होता है और अपने हाथों से संपत्ति और व्यापार का निर्माणकर्ता होता है।
- ऐसी भाग्य रेखा उत्तम हो और गुरु व सूर्य पर्वत प्रबल स्थिति में हों तो व्यक्ति को शुरू में अपने कार्यों में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और वह शासक पक्ष या निजी कंपनी में उच्च अधिकारी के पद को प्राप्त करता है।
# मंगल पर्वत से आरंभ हुई भाग्य रेखा, गुरु विलय बनाती हुई शनि पर्वत पर पहुंचे तो व्यक्ति का स्वाभाव नर्म होता है और अत्यधिक स्वाभिमानी और धार्मिक होता है।
- ऐसी रेखा होने पर व्यक्ति के भाग्य में परिवर्तन मानसिक चोट पहुँचने के कारण होता है अर्थात् जब तक इनके स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुंचे तब तक ये अपना जीवन बनाने की ओर प्रवृत्त नहीं होता है।
- ऐसी रेखा होने पर व्यक्ति को व्यवसाय और जमीन का लाभ मिलता है।
- ऐसी रेखा के साथ सूर्य पर्वत प्रबल हो और सूर्य रेखा पर कोई रेखा जाती है तो व्यक्ति अवश्यमेव विदेश-भ्रमण करता है।
- जिसके हाथ में ऐसी रेखा होती है उस व्यक्ति का जीवन कष्टकारी होता है और उसको मध्य आयु के बाद ही उन्नति देखने को मिलती है।
# मस्तिष्क रेखा से भाग्य रेखा का प्रारंभ होना बहुत ही कम व्यक्तियों के हाथों में देखने को मिलती है। भाग्य रेखा की ऐसी स्थिति जिस व्यक्ति के हाथ में होती है वह अवश्य नए नए अनुसन्धान कार्य करता है। इसी प्रकार की रेखा सफल नेता, व्यापारी और अनुसंधानकर्ता के हाथों में देखने को मिलती हैं।
- अस्पष्ट भाग्य रेखा और मस्तिष्क रेखा में थोड़ा भी दोष होने पर व्यक्ति की सलाह से अन्य लोग फायदा उठाते हैं। कुशल कलाकार होते हुए भी वह स्वतंत्र व्पापार में नुकसान झेलता है।
- हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के मध्य में भाग्य रेखा किसी वर्ग की आकृति बनाते हुए निकले तो उस वर्ष से वर्ग तक के वर्ष में व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल होता है। ऐसे व्यक्तियों में दैवी शक्ति अत्यधिक प्रबल होती है।
- भाग्य रेखा अगर त्रिभुज बनाती हुई शुरू हो तो व्यक्ति उसी वर्ष से संपत्ति का निर्माण करना पसंद करता है।
- कोई अन्य रेखा भाग्य रेखा के पास से होकर शनि क्षेत्र की तरफ जाती हुई दिखाई दे तो व्यक्ति को अन्य व्यवसायों से भी लाभ की प्राप्ति होती है जितनी रेखाएँ होंगी, उतने ही आय के श्रोत बढ़ेंगे और यदि रेखा टूटी हो तो व्यक्ति व्यवसाय बदलता रहता है।
# शुक्र पर्वत से भाग्य रेखा का प्रारंभ होना और साथ ही भाग्य रेखा जीवन रेखा को कट करती हुई शनि क्षेत्र तक जाये तो व्यक्ति बाल्यावस्था में परतंत्र रहता है और जीवन रेखा पार करने की आयु के पश्चात् ही स्वतंत्र रूप से धन अर्जित करना प्रारंभ करता है।
# मणिबंध से शुरू हुई भाग्य रेखा और यह भाग्य रेखा जीवन रेखा से मिल जाये, तो व्यक्ति के शुरुवाती जीवन में गृह कलह और अन्य कई कठिनाइयाँ आती हैं। जिस आयुमान से भाग्य-रेखा जीवन-रेखा से अलग हो जाये उसी आयु से उस व्यक्ति का भाग्योदय होता है। अगर भाग्य रेखा शनि क्षेत्र में प्रवेश करे तो ऐसे व्यक्ति को व्यवसाय व कला के क्षेत्र में विशेष सफलता हाथ लगती है।
# द्वीप का निशान भाग्य रेखा पर होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति वैवाहिक जीवन में असफल रहता है।
# भाग्य रेखा का मंगल-क्षेत्र पर समाप्त हो जाना यह दर्शाता है कि उस आयु के पश्चात् व्यक्ति का जीवन नीरस हो जाता है और यदि रेखा थोड़ी दूरी पर जा कर पुनः शुरू हो जाये तो व्यक्ति उसी वर्ष में पुनः भाग्य निर्माण प्रारंभ कर देता है।
# कोई रेखा भाग्य-रेखा से निकलकर गुरु पर्वत तक पहुँच जाती है तो व्यक्ति को उसी आयु में सहयोग व उच्चपद की प्राप्ति होती है।
# चौकोर निशान भाग्य रेखा पर हो तो यह निशान विपत्ति से बचाता है।
# क्रॉस का निशान भाग्य रेखा पर होना मृत्युतुल्य कष्ट देता है।
# भाग्य रेखा के साथ हृदय रेखा का कमजोर होने पर व्यक्ति प्रेम-सम्बन्ध में बदनामी झेलता है।
# स्पष्ट भाग्य रेखा यह दर्शाती है कि व्यक्ति को धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है और अगर भाग्य रेखा खंडित या टूटी हुई या लहरदार हो तो यह कार्य में परिवर्तन का संकेत देती है।
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