जीवन रेखा की पहचान – मस्तिष्क रेखा के नीचे से प्रारंभ हो कर मणिबंध (कलाई) जाती है इसके साथ ही यह शुक्र पर्वत को घेरती है और मंगल पर्वत द्वितीय को विभाजित करती है। इसका आकृति अर्धगोलाकार रूप में होती है। इसे ही जीवन रेखा कहा जाता है। इस रेखा का हस्त रेखा शास्त्र में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।
जीवन रेखा व्यक्ति विशेष के सामर्थ्य को दर्शाती है, इसका रंग गुलाबी होने का मतलब व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा है इसी प्रकार लाल रंग होने पर अस्वास्थ्य, नीला होने पर रक्त-संचार की कमी और अगर जीवन रेखा का रंग पीला है तो व्यक्ति को यकृत(liver) सम्बन्धी बीमारी है।
# जीवन रेखा का आरंभिक भाग मस्तिष्क रेखा से मिला होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति सचेत स्वाभाव का है और वह किसी कार्य में जोखिम लेना पसंद नहीं करता। जीवन-रेखा का जितना भाग मस्तिष्क रेखा से जुड़ा हुआ होगा उस आयु तक व्यक्ति पर पारिवारिक दबाव रहेगा।
# कुछ रेखाएँ जीवन-रेखा से निकलकर चन्द्र क्षेत्र में प्रवेश करती हुई प्रतीत हों तो वह व्यक्ति लम्बी यात्रायें करता है और उसके अन्दर आत्मबल अधिक होता है।
# अंगूठे के चारों तरफ गहरी जीवन-रेखा का होना व्यक्ति की विदेश यात्रा की अधिकता को दर्शाता है। और अगर एक रेखा, जीवन-रेखा से निकलकर चन्द्र पर्वत पर समाप्त हो तो व्यक्ति का अधिकांश जीवन विदेश में व्यतीत होता है।
# जीवन-रेखा का मोटा और चौड़ा होना इस बात का संकेतक होता है कि व्यक्ति के मस्तिष्क में व्यभिचार, चोरी, असामाजिक तत्वों से दोस्ती आदि गलत भावनाओं का प्रभाव है।
# इसी प्रकार जीवन-रेखा का पतला और गहरा होना इस बात को दर्शाता है कि व्यक्ति साहसी है और उसकी इच्छा शक्ति मजबूत है और साथ ही वह शुभ कार्यों में विशेष रूचि रखता है।
# जीवन-रेखा का किसी स्थान से टूट जाना या खंडित हो जाना और उसका टूटा हुआ टुकड़ा उस से मिला हुआ प्रतीत होना या उसके पास से दोहरी रेखा सी प्रतीत होना यह बतलाता है कि उसी आयु में व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे।
# जीवन-रेखा पर वर्ग का निशान, व्यक्ति की मृत्यु से रक्षा करता है।
# जीवन रेखा से कई रेखाएँ ऊपर की तरफ उठती हुई दिखें तो व्यक्ति के अधिकार, आर्थिक लाभ व सफलताओं की सूचना देती है। जीवन रेखा के जिस स्थान पर ये रेखाएँ ऊपर जाती हुई प्रतीत होती हैं आयु के उसी भाग में व्यक्ति द्वारा अपने भाग्य को सुधारने का प्रयत्न करता है।
# कोई रेखा जीवन-रेखा के प्रारंभिक स्थान से गुरु पर्वत की ओर जाती है, तो व्यक्ति व्यवसायिक-क्षेत्र अथवा विद्यार्थी-जीवन में खुद के प्रयत्नों से सफलता प्राप्त करता है। और ऐसे व्यक्ति दूसरों को अपने प्रभाव में रखना पसंद करते हैं।
# जीवन-रेखा की मणिबंध की ओर जाने वाली शाखाएं सम्बंधित आयु में शारीरिक कमजोरी या दुर्बलता को दर्शाती हैं।
# जीवन रेखा का अंतिम सिरा दो शाखाओं में टूट जाना व एक सिरा चन्द्र पर्वत और दूसरा सिरा शुक्र पर्वत की ओर जाना इस बात को दर्शाता है कि व्यक्ति का भाग्योदय जन्मस्थान के बाहर होगा। अगर चन्द्र पर्वत वाला सिरा गहरा हो तो व्यक्ति का भाग्योदय विदेश में होता है और वह व्यक्ति विदेश में ही बस जाता है और अगर शुक्र पर्वत का सिरा गहरा हो तो व्यक्ति विदेश अवश्य जाता है परन्तु वापस भी लौट आता है।
# कोई अन्य रेखा जीवन रेखा से निकले और जीवन रेखा के समान्तर शुक्र पर्वत में प्रवेश करे तो ऐसे व्यक्तिओं को अन्य व्यक्तियों का सहयोग मिलता है व उनका जीवन में अधिक प्रभाव होता है।
# जीवन-रेखा की गहराई धीरे-धीरे कम हो और अंतिम छोर तक जाने से पहले रेखा ही लुप्त हो जाए तो व्यक्ति की शारीरिक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है।
# दोहरी जीवन-रेखा अच्छे स्वास्थ्य की संकेतक होती है।
# कुछ आड़ी रेखाएँ शुक्र पर्वत से निकल कर जीवन-रेखा को काटें तो व्यक्ति को स्त्री-पक्ष या पुरुष-पक्ष से अपने कार्यों में रुकावटों का सामना करना पड़ता है।
# यदि कुछ आड़ी रेखाएँ मंगल पर्वत से निकले और जीवन-रेखा को कट करें तो व्यक्ति के कार्यों में पारिवारिक व्यक्ति विशेष से रूकावट पैदा होती है।
# मंगल पर्वत से होकर कोई रेखा जीवन-रेखा को कट करते हुए शनि रेखा को काटे तो व्यक्ति को व्यवसाय, रोजगार व आर्थिक क्षेत्र में किसी से हानि होती है।
# जीवन-रेखा से शाखाएँ ऊपर और नीचे, दोनों तरफ जाएँ तो व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल होता है।
# जब तीनों रेखाएँ मस्तिष्क रेखा, जीवन-रेखा व हृदय-रेखा, एक जगह मिलें और स्पष्ट व सुन्दर दिखें तो व्यक्ति शुभ कार्य करता है। यदि रेखाएँ सुन्दर व स्पष्ट न हों तो व्यक्ति में उत्तेजना अधिक होती है।
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