पिछले अध्याय में हमने हृदय रेखा के बारे में जाना कि हृदय रेखा क्या होती है कैसे उसकी पहचान की जाती है और कहाँ-कहाँ से प्रारंभ होती है और साथ ही जाना कि हृदय-रेखा की कुछ सामान्य स्थितियों के आधार पर व्यक्ति में पाए जाने वाले गुण-दोष कौन से हो सकते हैं। यहाँ हम बात करने वाले हैं कि हृदय रेखा की और कौन सी स्थितियां बन सकती हैं जिनके आधार पर उस व्यक्ति के गुण-दोषों को पहचाना जा सकता है और वे गुण-दोष कौन-कौन से हैं। तो आइये जाने कि हस्त रेखा विज्ञान में हृदय रेखा की विभिन्न स्थितियों और गुण-दोष (Different positions and demerits of heart line in Palmistry) कौन-कौन से हैं -
# मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के मध्य अंतर ज्यादा दिखाई दे तो व्यक्ति ईर्ष्यालु स्वभाव का होता है और तीव्र कामवासना वाला होता है।
# अगर हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच का अन्दर कम हो तो व्यक्ति जल्दबाज, सहनशीलता की कमी और हमेशा स्वयं के फायदे की बातों के बारे में सोचता रहता है।
# हृदय रेखा की अँगुलियों से दूरी यह तय करती है कि व्यक्ति कितना महत्त्वाकांक्षी और प्रतिष्ठाकामी है दूरी जितनी अधिक होगी व्यक्ति उतना ही महत्त्वाकांक्षी और प्रतिष्ठाकामी होगा। वह हमेशा सामाजिक और पारिवारिक मामलों को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेता है। उसकी कल्पना में भी किसी व्यक्ति-विशेष के लिए फायदे की बात ही चलती है। ऐसे व्यक्तियों से मित्रता रखना हमेशा अच्छा होता है। यदि साथ ही इनकी भाग्य रेखा अच्छी हो तो व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
# अगर हृदय रेखा अँगुलियों के ज्याद नजदीक हो तो व्यक्ति स्वार्थी व ईर्ष्यालु प्रवृत्ति का है अतः ये दूसरों के अच्छे कार्य पर जलते हैं। ये पारिवारिक जीवन में सफल नहीं होते।
# हृदय रेखा के अंत में जा कर दो शाखाओं में बंट जाना यह दर्शाता है कि व्यक्ति सच्चा और स्थायी प्रेमी होगा।
# पतली, चमकदार व स्पष्ट हृदय रेखा होने पर व्यक्ति मिलनसार स्वाभाव का होता है और वह अपने संबंधों को स्थायी रखने की इच्छा रखता है। परन्तु उसकी भावुक प्रवृत्ति के कारण वह किसी को भी तकलीफ नहीं देना चाहता।
# गहरी हृदय रेखा और गुरु पर्वत प्रबल हो तब व्यक्ति प्रेम सम्बन्ध में अधिक रूचि रखता है और हमेशा काल्पनिक विचार भी प्रेम-रस के होते हैं। कवि के हाथ में ऐसी रेखा हो तो वो भी प्रेम-रस का कवि होता है और प्रेम-रस पर ही कविता लिखना पसंद करता है। कला के क्षेत्र में सफल होता है। ऐसा व्यक्ति जिससे भी सम्बन्ध रखता है उसे पूरी आस्था के साथ निभाता है चाहे स्त्री हो, पुरुष हो या कला का क्षेत्र हो। ऐसी रेखा वाले व्यक्ति भावुक स्वाभाव के होते है परन्तु लगन के सच्चे होते हैं।
# छोटी हृदय रेखा होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपने ही ख्यालों में डूबा रहता है और उदासीन प्रवृत्ति का व एकांत में रहना पसंद करता है। वह कल्पनालोक में ज्यादा डूबा रहता है और अपनी भावनाओ को प्रकट नहीं कर सकता परिणाम स्वरुप लोग ऐसे व्यक्तियों से दोस्ती करने से दूर भागते हैं।
# हृदय रेखा मध्यमा अँगुली के नीचे टूटी या खंडित हो तो ऐसे में व्यक्ति को प्रेम संबंधो में निराशा हाथ लगती है। इनका भाग्य प्रेम संबंधो में सहायक नहीं होता और साथ ही उसके हर कार्य और क्षेत्र में अनिवार्य रूप से अड़चनों का सामना करना पड़ता है।
# अनामिका अँगुली के नीचे आकर हृदय रेखा का खंडित या टूट जाने की स्थिति में व्यक्ति खुद की आदतों व लापरवाही की वजह से प्रेम और अन्य संबंधो में असफल रहते हैं। ऐसे व्यक्ति झुकना पसंद नहीं करते और अत्यधिक स्वाभिमानी होते हैं।
# कनिष्ठिका अँगुली के नीचे हृदय रेखा का टूटा हुआ होने या खंडित होने पर व्यक्ति जल्दबाजी भरी और बचकानी हरकतों के कारण कई अवसर गवा देता है और इन्ही आदतों के कारण पकड़े भी जाते हैं और अन्य लोगों के विरोध का सामना करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रेम सम्बन्ध के मामले में असफल रहते हैं।
# दोहरी हृदय रेखा होने पर व्यक्ति साहसी, परोपकारी और आत्मसम्मानी होता है। समबंधो के मामले में हमेशा अग्रसर होगा चाहे प्रेम सम्बन्ध हों या सामाजिक क्षेत्र के सम्बन्ध। उसका जोशीला स्वाभाव उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है।
# दोहरी हृदय रेखा हो और सूर्य रेखा स्पष्ट रूप में हो तो व्यक्ति कोई भी निर्णय लेने में जल्दबाजी नहीं करता अर्थात धैर्यवान होता है। वह व्यक्ति-विशेष की भावनाओं को महत्व देता है और उसकी भावनाओं को जीतकर स्थायी प्रेम-संबध बनाता है। प्रेम के मामलों में भी जल्दबाजी नहीं करता परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्ति कभी कभी बैरागी प्रवृत्ति के भी होते हैं।
# हृदय रेखा दोहरी हो और हथेली लचीली व अंगूठा छोटा हो तो ऐसे व्यक्ति बदले की भावना रखने वाले होते हैं और इस वजह से वह अपराधी प्रवृत्ति के होते हैं।
# लहरदार हृदय रेखा इस बात को दर्शाती है कि व्यक्ति कल्पनालोक में रहता है और स्थायी रूप से प्रेम सम्बन्ध नहीं बना पाता। ये स्वाभाव से चिड़चिड़े होते हैं।
# प्रारंभ में हृदय रेखा लहरदार और बाद में सीधी हो जाये और जहाँ से सीधी हो वहां से आयु-गणना की जाये तो उसी आयु में व्यक्ति की कल्पना शक्ति में नियंत्रण देखने को मिलेगा और उसके सम्बन्ध स्थायी होंगे।
# हृदय रेखा का श्रृंखलाकार होना यह बतलाता है कि व्यक्ति की भावनाओं में स्थायीपन नहीं है और वह मानसिक चिंताओं से घिरा है। ऐसा व्यक्ति एकांत प्रिय और काल्पनिक विचारों में जीवन जीना पसंद करता है। व्यक्ति हृदय रोग से पीड़ित हो जाता है।
# मस्तिष्क रेखा की ओर झुकी हुई हृदय रेखा यह बतलाती है कि व्यक्ति अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकता है और स्वार्थ-सिद्ध होने के पश्चात् सम्बन्ध तोड़ने में भी नहीं सोचता अतः ऐसे व्यक्तियों से सम्बन्ध रखना हानिकारक हो सकता है।
# व्यक्ति पर मानसिक भावनाओ का प्रभाव अधिक देखने को मिलता है यदि हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा मिली हुई हों तो।
Heart Line Page - 2
Comments