भाग्य रेखा कैसे पहचाने – जो रेखा हथेली को खड़े (vertically) में दो भागों में विभाजित करे और मणिबंध से या मणिबंध के पास से शुरू हो कर शनि पर्वत तक जाये उसे भाग्य रेखा कहा जाता है।
हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि सूर्य रेखा के बिना में भाग्य-रेखा निरर्थक है। भाग्य रेखा आर्थिक स्थिति, रोजगार, धन-सम्पत्ति और व्यवसाय को दर्शाती है वहीँ सूर्य रेखा सफलता, यश, मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की संकेतक होती है।
किसी व्यक्ति के हाँथ में भाग्य रेखा कमजोर और सूर्य रेखा अच्छी स्थिति में हो तो उसे मान सम्मान प्रतिष्ठा, सफलता आदि तो प्राप्त होती है परन्तु आर्थिक दृष्टि मजबूत नहीं होगी। इसी के विपरीत सूर्य रेखा कमजोर और भाग्य रेखा अच्छी स्थिति में है तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी पर मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा की कमी होगी। दोनों रेखाएँ प्रबल होने पर व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है और यश, सम्मान, प्रतिष्ठा के साथ साथ आर्थिक रूप से भी मजबूत होता है। दोनों रेखाओं का निर्बल होना व्यक्ति की जीवन में असफलता को दर्शाता है ऐसा व्यक्ति कभी सफल नहीं होता।
भाग्य रेखा का आरम्भ –
# चन्द्र पर्वत से भाग्य रेखा का प्रारंभ। स द, क ख
# जीवन रेखा से भाग्य रेखा का आरम्भ। म न
# मंगल पर्वत से आरंभ हुई भाग्य रेखा। प फ
# मस्तिष्क रेखा से भाग्य रेखा का प्रारंभ होना। य र
# शुक्र पर्वत से भाग्य रेखा का प्रारंभ होना। श न
# मणिबंध से शुरू हुई भाग्य रेखा। अ ब
भाग्य रेखा पेज - 2
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