यह हस्त रेखा शास्त्र संक्षेप में का पेज 3 है इसके पहले दो और अध्याय में हस्त रेखा शास्त्र के कुछ बिन्दुओं का विवरण कर चुके हैं। इसके पिछले अध्याय में जाना व्यवसाय से धनलाभ किसको और किस स्थिति में होता है। इस अध्याय में रेखाओं व पर्वतों के मुख्य संयोग का तीसरा पॉइंट दिया गया है प्रेम सम्बन्ध के बारे में किस व्यक्ति के जीवन में किस स्थिति में क्या प्रभाव होगा।
# दोनों हाथों में हृदय-रेखा पर द्वीप का चिन्ह बनना अवैध प्रेम-सम्बन्ध की ओर संकेत देते हैं।
# यदि छोटी-छोटी रेखाएँ शुक्र पर्वत से हो कर जीवन-रेखा को स्पर्श करें तो प्रेम-सम्बन्ध बनते हैं।
# शुक्र पर्वत से चलने वाली रेखाएँ जीवन-रेखा को कट करती हुई भाग्य-रेखा से मिलें तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय प्रेम-सम्बन्ध के पश्चात् होता है।
# छोटी-छोटी- रेखाएँ जो शुक्र पर्वत से आती हैं वो जीवन-रेखा को कट करती हुई आगे बढ़ जाएँ तो प्रेम सम्बन्ध में अड़चने होती हैं।
# कोई रेखा जो शुक्र पर्वत से निकले और जीवन-रेखा के साथ साथ मस्तिष्क रेखा को भी कट करे और विवाह-रेखा से जा कर मिल जाये या विवाह रेखा को भी काटती हुई आगे बढ़ जाये तो प्रेम-सम्बन्ध के कारण मानसिक तनाव बना रहता है।
# यदि शुक्र पर्वत से शुरू होने वाली रेखाएँ सिर्फ जीवन-रेखा और भाग्य-रेखा को ही कट करते हुए आगे बढ़ जाये तो भाग्योदय में प्रेम-सम्बन्ध के कारण अड़चन आती है।
# गुणक या तारे के आकर का चिन्ह यदि गुरु पर्वत पर दिखे तो प्रेम-सम्बन्ध में सुख की प्राप्ति होती है।
# चन्द्र पर्वत से शुरू हो कर प्रभावी रेखा यदि भाग्य रेखा से मिले तो प्रेम-सम्बन्ध होता है।
# शनि व शुक्र पर्वत के बीच में द्वीप की आकृति होना इस बात का संकेत है कि प्रेमी लोभी प्रवृत्ति का है।
# बुध पर्वत के नीचे हृदय-रेखा पर द्वीप का निशान हो तो किसी सम्बन्धी से प्रेम सम्बन्ध होते हैं।
# कुछ छोटी स्पष्ट रेखाओं का विवाह रेखा पर होना प्रेम-सम्बन्ध की और संकेत करती है और यदि यही ये छोटी रेखाएँ विवाह रेखा को स्पष्ट रूप से काटती हुई दिखें तो प्रेम-सम्बन्ध की वजह से विवाह में अड़चन आती है।
# हृदय-रेखा का टूटा होना और उसकी एक शाखा का मस्तिष्क रेखा को छूना इस बात की ओर संकेत करती है कि प्रेम-सम्बंध में सफलता नहीं मिलेगी और व्यक्ति कल्पनालोक में खोया रहेगा।
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