सूर्य रेखा की पहचान – यह रेखा सूर्य पर्वत (अनामिका अँगुली के नीचे) पर सीधी, सरल और खड़ीं रेखा होती है। ये मणिबंध या उसके पास से प्रारंभ हो कर सूर्य पर्वत की ओर जाती है। इस रेखा को सूर्य-रेखा के साथ-साथ यश, सफलता और दीप्ति की रेखा भी कहा जाता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना कार्य-क्षेत्र होता है जिसमे उसको सफल होना चाहता है जैसे राजनेता के लिए चुनाव में विजय होना, नौकरी वालों की लिए उच्च पद पाना, व्यापारी के लिए व्यापर को बढ़ाना, विद्यार्थियों के लिए परीक्षा में उत्तीर्ण होना आदि। व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में प्रयासरत होता है उस क्षेत्र में सफलता और असफलता इस रेखा की स्थिति के अनुसार मिलती है।
इस रेखा का हाथ में उपस्थित होना इस बात का संकेत नहीं है कि व्यक्ति को हमेशा सफलता मिलेगी और धन,यश और मान मिलेगा। यह तभी संभव है जबकि पर्वतों की स्थिति, मस्तिष्क रेखा व अंगूठों के पोर अच्छे हों। इनके आभाव में सूर्य रेखा के समस्त गुणों का लाभ प्राप्त नहीं होता है।
असल में सूर्य-रेखा, व्यक्ति में विद्दमान दीप्ति या प्रतिभा के गुण और उनकी मात्रा को उजागर करने का एक दर्पण है व्यक्ति की सफलता और प्रसिद्धि हेतु दोनों गुणों का होना आवश्यक है।
भाग्य रेखा का सूर्य रेखा के साथ विशेष प्रकार का सम्बन्ध होता है। भाग्य रेखा आर्थिक स्थिति को जबकि सूर्य रेखा यश, मान व प्रतिष्ठा को। ये दोनों रेखाएँ प्रबल होने पर व्यक्ति जीवन में यश, मान, प्रतिष्ठा के साथ धन को अर्जित करता है। भाग्य रेखा के अभाव में भाग्य रेखा का कार्य सूर्य रेखा करती है। और यदि सूर्य रेखा नहीं है और भाग्य रेखा अच्छी हो तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है परन्तु मान-सम्मान, यश और प्रतिष्ठा नहीं मिलती। यदि सूर्य रेखा अच्छी और भाग्य रेखा कमजोर हो तो व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में सफल रहता है। भले ही वाल अल्पधनी रहे अर्थात धन कम हो परन्तु उसका जीवन, स्वावलम्बी और स्वाभिमानी होने के कारण सुखी और प्रतिष्ठित व्यक्ति की तरह व्यतीत करता है।
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