* अंगुलियाँ एक दूसरे के ऊपर-नीचे दिखें जैसे तर्जनी सीधी, मध्यमा नीचे, अनामिका सीधी, कनिष्ठिका नीचे की तरफ, तो ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है और यह आशा-आशंका बनी रहती है कि सफल होगा या असफल।
* सारी अंगुलियाँपर्वत के ऊपर लाइन में हो तो व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल होता है। बनावटीपन नहीं होता और वास्तविकता नज़र आती है।
* तर्जनी कुछ दबी हुई दिखाई दे तो वह गुरु पर्वत के गुणों में कमी दर्शाती है। ऐसे लोग धार्मिक, सामाजिक और विद्या सम्बन्धी काम में स्थिर नहीं होते।
* यदि सबसे छोटी अँगुली(कनिष्ठिका या बुध की अँगुली) दबी हुई दिखाई दे और शनि व सूर्य पर्वत उठे हुए दिखें तो व्यक्ति व्यक्ति अनुसन्धान कार्य में दक्ष होता है और उसके द्वारा किया गया शोध कार्य विशेष रूप से ख्याति पाता है इसके साथ ही वो छानबीन के काम भी सफल होता है। यदि शनि और सूर्य पर्वत निर्बल हैं अर्थात् दबे हुए हैं तो व्यक्ति में चालाकी की प्रवृत्ति बढ़ जाता है और जुआ खेलने और चोरी करने की प्रवृत्ति प्रबल हो जाती है।
* अनामिका अँगुली(सूर्य पर्वत वाली अँगुली) मध्यमा अँगुली (शनि पर्वत वाली अँगुली) से दबी हुई हो तो व्यक्ति समझदारी से काम करने वाला, आध्यात्मिकता की तरफ विशेष झुकाव वाला, एकान्तप्रिय और अपने आप को हर परिस्थिति में सामान्य रखने की क्षमता वाला होता है। ऐसे व्यक्ति बिना जाँच किये जल्दी ही किसी की बात पर विश्वास नहीं करते जब तक पूर्ण संतुष्टि न मिले तब तक शांत भी नहीं बैठते।
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