संतान रेखाएँ कहाँ होती हैं – ये रेखाएँ विवाह रेखा के ऊपर खड़ीं और बारीक रेखाएँ होती हैं ये कनिष्ठिका के नीचे बुध पर्वत के पास होती हैं।
संतान रेखाओं के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण बातें –
- यदि संतान रेखाएँ चौड़ी, स्पष्ट और सुन्दर दिखाई दें तो पुत्र और पतली रेखाएँ पुत्री रत्न प्राप्ति की और संकेत करती हैं।
- संतान रेखाओं का टेढ़ा-मेढ़ा होना व क्षीण होना बच्चे या बच्ची की दुर्बलता का संकेतक होता है।
- संतान रेखाओं के प्रारंभ में द्वीप का चिन्ह हो तो बच्चे जन्म से ही दुर्बल होते हैं।
- यदि ये द्वीप का चिन्ह ख़त्म हो जाये तो बच्चा बड़ा होने पर स्वस्थ स्थिति में आ जाता है।
- संतान रेखा के अंत में बना हुआ द्वीप का निशान इस बात का संकेतक होता है कि बच्चा हमेशा अस्वस्थ रहेगा।
संतान रेखाओं से व्यक्ति की संतान के विशेष गुण –
- रेखाएँ सुन्दर और स्पष्ट होने पर, संतान हमेशा माता-पिता के लिए सुख देती हैं परन्तु यदि इसके विपरीप ये रेखाएँ दोषयुक्त व छोटी हों तो माता-पिता को संतान से सुख नहीं मिलता।
- रेखाएँ स्पष्ट, गहरी, स्वच्छ और सुन्दर हों तो व्यक्ति को अपनी संतान से विशेष प्रेम की प्राप्ति होती है और ऐसी संताने अन्य रिश्तेदारों को भी सम्मान देती हैं।
- संतान रेखाओं का हृदय रेखा से उठकर विवाह रेखा को छूना इस बात का संकेत देता है कि व्यक्ति को बच्चे से विशेष लगाव रहता है।
- यदि संतान रेखाएँ बुध पर्वत पर स्पष्ट रूप से दिखें तो व्यक्ति को संतान प्राप्त अवश्य होगी और अगर ये रेखाएँ अन्दर की तरफ जाती हुई दिखाई दें तो व्यक्ति को बच्चे या संतान की प्राप्ति ३० वर्ष (30 years) की आयु के बाद होती है।
नोट – संतान-सम्बन्धी प्रश्नों के बारे में किसी व्यक्ति को बताते समय उसके साथी के हाथ का निरिक्षण अवश्य करना चाहिए अर्थात् पति-पत्नी दोनों के हाथों के निरिक्षण के पश्चात् प्रश्नों के उत्तर देना चाहिए।
यहाँ हमने जाना कि कैसे संतान रेखाओं को पहचाना जाता है और उनका व्यक्ति के संतान से सम्बंधित क्या क्या प्रभाव होते हैं और उनके गुण-दोष क्या क्या हैं।
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