अंतिम अध्याय में आपकी सुविधा के लिए हम आपको बताने वाले हैं हस्त परीक्षा का सार रूप में विवरण। अभी तक अपने हमारे हस्त रेखाशास्त्र के जितने भी अध्याय का ज्ञान लिया उसका एक साधारण रूप में बतायेंगे। इस अध्याय को पांच (५) भागों में विभाजित करके हस्त रेखा शास्त्र का सार रूप में विवरण करेंगे।
इसके उपयोग से आप किसी व्यक्ति-विशेष के जीवन के बारे में तथ्यों की सटीक प्रगुक्ति करके अपने द्वारा अर्जित ज्ञान का परीक्षण कर सकेंगे, जिससे उनमे आत्मविश्वास जागृत होगा। अगर आप सभी अध्यायों को पढ़ चुके हैं और संक्षेप में पढना चाहते हैं और साथ ही साथ अभ्यास करना चाहते हैं तो इस अध्याय को ध्यान से देखें यह सभी अध्याय का संक्षेप में विवरण हैं।
आइये जानते हैं इस सम्पूर्ण हस्त रेखाशास्त्र का संक्षेप में विवरण –
# हाथों को अच्छे से देखने के लिए सही विधि का उपयोग करें सही से छाप लें या फिर अच्छी इमेज का उपयोग करें साथ ही आप टेक्नोलॉजी का भी उपयोग कर सकते हैं।
# वैसे तो व्यक्ति के दोनों हाथों का अध्ययन करना चाहिए, लेकिन क्रियाशील हाथ को विशेष महत्त्व देने की आवश्यकता होती है।
# हाथ की संरचना की सही से पहचान करें और प्रकृति का निर्धारण करें।
# पर्वत और रेखाओं को आधार मानकर व्यक्ति की प्रवृत्ति की पहचान करें।
# सभी प्रकार के चिन्ह और रेखाओं में होने वाले परिवर्तन को नोट करें।
# किसी व्यक्ति विशेष के बारे में परीक्षण के पहले या उसे फलित करने के पहले अपने मन को एकाग्र करें और काम, क्रोध, लोभ, मोह सभी का त्याग करें।
(NE)इन सभी नियमों को ध्यान में रख कर ही फलित कहा जाए अर्थात् किसी व्यक्ति के हाथ का परीक्षण कर उसके बारे में बताया जाए तो आपको भी मान-सम्मान, यश और धन की प्राप्ति होगी।
उदाहरण के लिए – जैसे कि हाथ दिखाने वाले व्यक्ति के हाथ का आकार देखने पर ज्ञात हुआ कि व्यक्ति की प्रवृत्ति सात्विक है और आपने वर्तमान व भविष्य कथन राजसी प्रवृत्ति को ध्यान में रख कर प्रारंभ किया तो आपके द्वारा सही फलादेश दिए जाने पर भी,व्यक्ति की आपके प्रति श्रद्धा नहीं रहेगी।
अर्थात कहने का तात्पर्य यह कि देश-काल व व्यक्ति की प्रवृत्ति के अनुरूप फलादेश कहना प्रारंभ करें। पहले व्यक्ति में जिज्ञासा पैदा करें, फिर सही रूप में संयम व धीरज के साथ use वस्तुस्थिति से अवगत करते रहें। वह आपकी हर बात को महत्त्व देगा और उसका अनुसरण आपके कहे अनुसार करेगा।
# त्वचा सुन्दर और साफ़ होना चाहिए।
# बनावट के हिसाब से हाथ सुघड़ होना चाहिए।
# हथेली लालिमा लिए हुई अर्थात लाल होनी चाहिए।
# हाथ में रेखाओं का जाल नहीं होना चाहिए।
# नाखून पर अर्धचन्द्र होना चाहिए।
# नाखून चमकीले होना चाहिए।
# प्रभावी व मुख्य रेखाएँ दोषमुक्त होना चाहिए।
# ग्रह या पर्वत सामान्य से उन्नत या प्रबल होना चाहिए।
1. आकस्मिक धनलाभ की स्थिति
2. व्यवसाय से धनलाभ
3. प्रेम सम्बन्ध
4. रोग
5. विशेष-योग
# भाग्य-रेखा का मणिबंध या कलाई से शुरू हो कर शनि पर्वत या सूर्य पर्वत को छूना।
# दो भाग्यरेखाओं का सामानांतर चलना।
# चन्द्र पर्वत से किसी रेखा का बुध पर्वत को छूना।
# मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा के बीच में त्रिकोण की आकृति का बनना।
# मस्तिष्क रेखा से किसी रेखा का निकलकर सूर्य पर्वत को छूना।
इनमे से किसी भी स्थिति में आकस्मिक धनलाभ के योग बनते हैं।
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