झूठी पुलिस कंप्लेंट से कैसे बचें - कई बार देखा जाता है कि किसी व्यक्ति के द्वारा किसी अपराधिक गतिविधि में संलिप्त न होने पर भी किसी के द्वारा उनके खिलाफ झूठी FIR (First Information Report) कर दी जाती है । और FIR करने वाले व्यक्ति के द्वारा ऐसा करने का उद्देश्य या intention गलत होता है वो आपको या आपकी संपत्ति को क्षति पहुचाना चाहता है या आपका समय ख़राब करना चाहता है या आपकी इमेज ख़राब करना चाहता है या आपको मानसिक रूप से प्रताड़ित करना चाहता है आदि ।
ऐसी स्थिति में अगर आपने कोई अपराध नहीं किया है और आप पुर्णतः निर्दोष हैं तो आपको बिलकुल भी डरने की जरुरत नहीं है । यहाँ हम उन सभी तरीकों को बतायेंगे जिनको आपको follow करना है तो आइये सबसे पहले जानते हैं कि जैसे ही आपको पुलिस के माध्यम से पता चलता है कि आपके खिलाफ पुलिस में FIR (First Information Report) की गई है तब सबसे पहले क्या करें –
सामान्य अपराध की स्थिति में (7 साल से कम सजा वाले अपराध) – ऐसे में आपको बिना डरे हुए आपको सबसे पहले पता करना चाहिए कि जो FIR हो रही है वो किसी गंभीर अपराध (जिसमे 7 साल से अधिक की सजा का प्रावधान है) की श्रेणी में तो नहीं है । अगर FIR सामान्य अपराध की श्रेणी में की गई है तो ऐसी स्तिथि में आपको बिना घबराये सीधे पुलिस के पास जाना है क्यों कि ऐसे अपराधों में पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं कर सकती ।
आप सीधे उस थाने में उपस्थित हों जहाँ आपके खिलाफ complaint की गयी है और साथ में कुछ proof या साक्ष्य भी साथ में ले कर जायें जैसे अपराध का जो समय और स्थान बताया गया है उस समय आप कहीं और थे । Proof के तौर पर आपके साथ कोई व्यक्ति हो सकता है या कुछ और हो सकता है जिससे आप पुलिस वालों को ये बता सकें कि अपराध का जो समय और जगह बताई गयी है आप उस समय उस स्थान या उस शहर में नहीं थे ।
पुलिस के सामने अपनी बात पुरे confidence के साथ रखनी है और उनको बताना कि आपके खिलाफ जो Complaint की गयी है वो गलत है ।
साथ ही उनको ये भी बताएं कि उस व्यक्ति ने आपके खिलाफ झूठी FIR क्यों की है ये वजह उस व्यक्ति की आपसे रंजिस हो सकती है या आपसे जलन आदि ।
आपके पास और कोई evidence या सबूत हैं तो उनको भी आप पुलिस वालों के सामने रखें और उनको convince करने की कोशिश करें कि आपने कोई अपराध नहीं किया है और आपके खिलाफ झूठी FIR की जा रही है ।
गंभीर अपराध की स्थिति में (जिसमे 7 साल से अधिक की सजा का प्रावधान है) – अगर आपकी complaint किसी गंभीर अपराध में की जा रही है तो ऐसी स्थिति में आप सीधे जा कर पुलिस वालों से नहीं मिलेंगे क्यों कि ऐसे अपराधों में पुलिस आपको सीधे लॉकअप में बंद कर सकती है ।
ऐसी स्थिति में आप अपनी जगह किसी और व्यक्ति को या किसी वकील को पुलिस के पास भेज सकते है और वो व्यक्ति या वकील जा कर वहां पुलिस के सामने आपकी बेगुनाही के सबूत दे और पुलिस को बताये कि आपके खिलाफ जो complaint हुई है वो झूठी है ।
बस एक बात का ध्यान रखे कि जब भी आपके खिलाफ कोई झूठी complaint हो तो भागें नहीं । अगर आप भाग जाते हैं तो पुलिस को आप पर संदेह होने लगता है और उनको लगने लगेगा कि आपने अपराध किया है इसलिए आप छुप रहे हैं या भाग गए हैं ।
अगर आप पुलिस को यह समझाने में सफल रहते हैं कि आपने कोई अपराध नहीं किया है और आपके खिलाफ झूठी FIR की जा रही है तो आप बच जायेंगे ।
पुलिस को इसके बाद IPC की धारा 182 के तहत झूठी FIR करने वाले को 6 माह की सजा देने या उस पर जुर्माना लगाने या दोनों देने का अधिकार है ।
अगर पुलिस को लगता है कि उस व्यक्ति ने आपको क्षति पहुचाने के उद्देश्य से झूठी FIR कराई है तो उसके खिलाफ IPC की धारा 211 के अंतर्गत कार्यवाही कर उसे 2 साल की सजा या जुर्माना या दोनों करा सकती है ।
अगर आप पर लगाया हुआ झूठा आरोप गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है तो झूठी complaint करने वाले व्यक्ति के ऊपर जो कार्यवाही की जाएगी वो IPC की धारा 211 के अंतर्गत 7 वर्ष की सजा के प्रावधान के साथ की जाएगी।
झूठी पुलिस कंप्लेंट से कैसे बचें - अगर मान लो आपके खिलाफ FIR हो चुकी है और पुलिस आपको गिरफ्तार करने आती है और आपने वो अपराध नहीं किया है और आप पुर्णतः निर्दोष हैं तो ऐसी स्थिति में आप किसी परिवार के व्यक्ति द्वारा अपने जिले के SP को एक आवेदन और अपनी बेगुनाही के सबूत दे सकते हैं, और उनसे request कर सकते हैं कि अपने कोई अपराध नहीं किया है और आप उस समय कहीं और थे और आपके खिलाफ झूठी FIR हुई है ।
अगर फिर भी आपको पुलिस के द्वारा सहायता नहीं मिलती है तो ऐसी स्थिति में आपके पास एक और तरीका है जिस से आप पुलिस की गिरफ़्तारी से बच सकते हैं –
IPC की धारा 482, इसमें आपको एक वकील कर के हाइकोर्ट में आवेदन देना होगा कि आपके खिलाफ झूठी FIR की गयी है । इस से आपको हाइकोर्ट की तरफ से आपकी गिरफ़्तारी के खिलाफ स्टे मिल जायेगा और आप गिरफ़्तारी से बच जायेंगे ।
इसके पश्चात् आप पुलिस वालों के साथ मिल कर कोर्ट में अपनी बात रख सकते हैं और अपनी बेगुनाही साबित कर सकते हैं ।
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