वर्तमान में हम कई तरह का आहार अपने दैनिक जीवन में खाने के लिए इस्तिमाल करते हैं । आज की रफ़्तार भरी लाइफ स्टाइल में हम ध्यान नहीं दे पाते कि क्या खा रहे है । आजकल Soda, कोल्डड्रिंक, fast food, प्रोसेस्ड फूड और Packed खाद्य पदार्थ चलन में है, क्यों कि ये समय बचाते हैं और कभी भी कहीं भी आप इनका उपयोग खाने-पीने में कर सकते हैं । लेकिन इन सब में हम यह भूल जाते हैं की यह हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर डालेंगे । इन्ही सब को ध्यान में रखते हुए हमने 17 कैंसर कारक खाद्य-पदार्थ की एक सूची तैयार की है, जिनको खाने से हमेशा बचना चाहिए ।
आज कैंसर एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गयी है। वर्तमान में दुनिया में कैंसर के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बदती जा रही है । इसके उपचार के लिए कई तरह के शोध किये जा रहे हैं । वैसे तो प्राकृतिक रूप से उत्पादित किये गए खाद्य पदार्थ हमें कैंसर जैसी कई बीमारियों से बचाते हैं । पर आज कल जिस तरीके से खाद्य पदार्थों में दवाइयों और अन्य केमिकल का इस्तिमाल हो रहा है उससे यह भोजन ही हमारे लिए अनेक बीमारियों का कारण बन रहा है ।
आइए जानते हैं उन 17 कैंसर कारक खाद्य-पदार्थ के बारे में, जिनको खाने के लिए कई विशेषज्ञ मना करते हैं और जो कैंसर का कारण बन सकते हैं –
वैसे तो प्राकृतिक रूप से पैदा किये गए टमाटर कैंसर से लड़ने में मददगार साबित होते है और ये अनेक तरह के संक्रमण, त्वचा रोग से लड़ने में सहायता करते हैं । पर अगर बात की जाये डिब्बा बंद टमाटर की तो ये बहुत ही हानिकारक होते हैं क्योंकि ये अम्लीय होते है और जब इनको डिब्बे में पैक करने के लिए इनमें केमिकल का उपयोग किया जाता है यह केमिकल कैंसर का कारण बनता है ।
इसका एक कारण यह भी है की इन्हें जिस डिब्बे में पैक किया जाता है उन डिब्बों के अस्तर में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) होता है जिसे कैनेडियन कैंसर सोसायटी द्वारा एक हानिकारक पदार्थ माना जाता है।
इसलिए हमेशा ताजे और प्राकृतिक रूप से उगाये हुए टमाटर का ही उपयोग भोजन में करना चाहिए। ताकि आप और आपका परिवार स्वास्थ्य रहे।
वैसे तो पॉपकॉर्न को बनाना बहुत ही आसान होता है पर अगर इसको पकाने के लिए माइक्रोवेव ओवन का इस्तिमाल किया जाये तो यह काम और भी आसान हो जाता है । लेकिन आपको माइक्रोवेव पॉपकॉर्न के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में पता होना चाहिए।
माइक्रोवेव के इस्तिमाल से पेरफ्लूरोएक्टेनोइक एसिड (PFOA) नामक एक खतरनाक यौगिक उत्पन्न होता है जो आपके पॉपकॉर्न में मिला जाता है। पीएफओए एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, अध्ययन से पता चलता है कि यह यकृत (liver), प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system), हार्मोन को प्रभावित करता है और साथ ही थायराइड हार्मोन के स्तर को बदल देता है,।
इससे बनने वाला रसायन (पीएफओए-PFOA) अनेक तरह के कैंसर का कारण बनता है, जिसमें यकृत, मूत्राशय, गुर्दे और प्रोस्टेट कैंसर शामिल हैं।
अगर बात की जाये आम तरीके से बनाये हुए (माइक्रोवेव ओवन के बिना) पॉपकॉर्न की तो यह एक लाभदायक स्नैक है । यह स्वाभाविक रूप से कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च है। तो हमेशा कोशिश करिए कि मिक्रोवेव ओवन का उपयोग खाना पकाने में कम करें।
वर्तमान में जिस तरीके से तेल का निर्माण हो रहा है, उस तरीके से बने हुए खाद्य तेल का भोजन में उपयोग करना स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालता है । तेल एक ऐसी खाद्य वस्तु है जिसके बिना किसी भी इन्सान का भोजन नहीं बनता और इसके बिना काम भी नहीं चलता पर अगर इन्ही तेलों का निर्माण Hydrogenated हो तो यह आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालते हैं ।
एफडीए ने कहा है कि ट्रांस वसा उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं हैं। हाइड्रोजनीकरण अनसैचुरेटेड फैटी एसिड के कुछ अंशों को ट्रांस-फैट में बदल देता है। वे रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं, साथ ही धमनियों का सख्त होने (एथेरोस्क्लेरोसिस) का जोखिम भी रहता है। और जिससे हृदय रोग और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
गंदे फलों और सब्जियों से मतलब है, उनके उत्पादन में अधिक कीटनाशकों का उपयोग होना। इनमें इस्तिमाल होने वाले कीटनाशकों की वजह से कैंसर और कई बिमारियां हो सकती हैं ।
अक्सर लोग सब्जियों और फलों का उपयोग बिना धोये करते हैं या इनको सिर्फ पानी में डाल कर उपयोग में ले लेते हैं । पर यह तरीका गलत है, क्योकि आज जिस तरीके से और जितनी मात्रा में इनको उगाने में कीटनाशकों का उपयोग हो रहा है, उसके हिसाब से इन फलों और सब्जियों का उपयोग करने से पहले इनको बहुत अच्छे तरीके से धोना जरूरी है ।
इसके नुकसान जानने से पहले जानते हैं कि ये होते क्या हैं – अगर आप कोई ऐसा पौधा चाहते हो हो जिसे रोजाना पानी देने के बजाय सिर्फ महीने में एक बार पानी देने से वह बढ़ता रहे या फिर ऐसा फल या सब्जी पौधा हो जिससे उपजे फल या सब्जी बिना सड़े लंबे समय तक ताजा रहें, या ऐसा पौधा हो जिसमें कीट न लगें और जिससे अधिक मात्रा में फसल मिलें या फिर ऐसा पौधा हो जिसमें कुछ औषधीय गुण भी हो। तो पौधों में ऐसा गुण सिर्फ उन पौधों को जीनांतरित करके हो सकता है।ऐसा करने के लिए एक पौधे में दुसरे पौधे के जींस मिलाये जाते हैं जिससे उनमे नए गुण व्याप्त होते हैं।
वर्तमान में इस तरह की फसल और पौधों पर कई शोध हो रहे हैं जिससे की समय की बचत हो और उन्हें मैनेज करना भी आसान हो सके।
पर क्या आप जानते है इस तरह से उगाये हुए फल, सब्जियां या फसल आपके लिए बीमारी ला सकती है। अनुसंधान जीएमओ प्रोडक्ट्स को कैंसर, यकृत और गुर्दे की क्षति और गंभीर हार्मोनल व्यवधान से जोड़ता है। हालांकि इस विषय पर अभी भी कई विशेषज्ञों में बहस जारी है।
17 कैंसर कारक खाद्य-पदार्थ में से एक कारक है ज्यादा नमक और मसालेदार आचार और भोजन भी बहुत नुकसानदायक होते हैं । इनके अधिक उपयोग से आपको पेट का कैंसर और नासॉफिरिन्जियल कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। अत्यधिक नमक और अचार वाले खाद्य पदार्थ पेट और पाचन अस्तर को भी बहुत प्रभावित कर सकते हैं।
चीनी को सफ़ेद और चमकीला बनाने के लिए इसमें रसायन का उपयोग किया जाता है । चीनी के अधिक सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पर असर डालता है । यह कैंसर के खतरे को बड़ा सकती है । वैसे तो ग्लूकोज हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है । पर रिफाइंड चीनी का अधिक उपयोग, शरीर के खनिज संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे सक्रियता, चिंता, थकान, वजन बढ़ना, अवसाद और गठिया हो सकता है।
दुनिया में सफ़ेद आटे का उपयोग दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है । इसका अधिक उपयोग वजन बढने, मोटापा, कब्ज, मधुमेह (diabetes-डायबिटीज) जैसी कई बिमारियों को बुलावा देता है। क्योंकि इसको सफ़ेद करने के लिए refined किया जाता है जिसमे कई रसायनों का उपयोग होता है । इस से इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व कम हो जाते हैं । ये कैंसर को भी बढावा देता है । कोशिश करें की इसका उपयोग कम से कम करें ।
आलू की चिप्स का ज्यादा सेवन भी कैंसर को बढावा देता है । और कैंसर के अलावा भी कई बिमारियों का कारण है जैसे मोटापा, वजन बढ़ना, हार्ट प्रोब्लेम्स आदि । इसकी जगह आप एक मात्रा में केला चिप्स ले सकते हैं ।इनकी एक नियमित मात्रा नुकसान नहीं करती ।
कृत्रिम मिठास का उपयोग मधुमेह में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को नियंत्रित करने या मोटापे को कम करने के लिए किया जाता है।
आर्टिफीसियल स्वीटनर आजकल बहुत उपयोग में लाये जाने लगे हैं । और यह अन्य मीठे पदार्थों की जगह इस्तेमाल किये जाने लगे है । पर यह भी बहुत हानिकारक होते हैं । यह कैंसर का कारण बन सकते हैं इसके साथ साथ ही ये अन्य तरह की बिमारियों से आपको बहुत प्रभावित कर सकते हैं ।
लेकिन, शोध से पता चलता है कि कृत्रिम मिठास वास्तव में ज्यादातर लोगों में वजन घटाने में मदद नहीं करते हैं, वास्तव में ये आपके वजन को बढ़ाने को बढ़ावा देते हैं।
कुछ सालों में कोल्ड ड्रिंक का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है । लोग दूध, दही, छांछ, जूस या रस आदि Natural Drinks की अपेक्षा सोडा और कोल्ड ड्रिंक पीना ज्यादा पसंद करते हैं । पर वो ये ध्यान नहीं देते की इनसे अपने शरीर को कितना नुकसान है ।
सोडा का अपने शरीर को कोई फायदा नहीं है, इसमें उच्च मात्रा में फॉस्फेट, जबरदस्त मात्रा में सफेद चीनी और रसायन होते हैं। जो पोषक तत्वों के शरीर को आसानी से ख़त्म कर सकते हैं और वजन को बढ़ाने और मोटापे को बढ़ावा देते हैं और साथ ही साथ कैंसर का भी कारण बनते हैं।
सोडा को बनाने में अक्सर कृत्रिम स्वाद, कृत्रिम रंग और कृत्रिम मिठास के साथ साथ रसायन का उपयोग होता है, ये सभी कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ होते हैं । कृत्रिम मिठास के बीच, सैकरिन सबसे बड़ी चिंता है। हमेशा ऐसे पेय पदार्थो से दूर रहें और देशी और प्राकृतिक पेय का उपयोग करें ।
ये बात तो सभी जानते है और गवर्नमेंट की तरफ से भी आपको आगाह किया जाता है कि शराब आपकी शेहत के लिए कितनी हानिकारक है । शराब के ज्यादा सेवन से कैंसर हो जाता है ।
शराब पीने से आपके स्तन, कोलन और मलाशय, ग्रासनली, स्वरयंत्र, यकृत, मुंह और ग्रसनी के कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
किसी भी गर्म पेय पदार्थ को बहुत ज्यादा गर्म पीना आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है । अगर आप भी चाय, कॉफ़ी या अन्य कोई पेय पदार्थ बहुत ज्यादा गर्म होने पर भी जल्दी से पी जाते हैं तो अगली बार से ध्यान रखिये ऐसा करना आपके शरीर में कैंसर को बुलावा दे सकता है ।
गर्म पेय पदार्थों का सेवन: नियमित रूप से बहुत गर्म कॉफी, चाय या सूप पीने से इसोफेगल कैंसर का खतरा अधिक होता है। उनके ठंडा होने का इंतज़ार करें।
Salmon एक तरह की मछली है जो बहुत से देशों में पसंद की जाती है। इसकी मांग ज्यादा होने की वजह से इसे बड़े स्तर पर पैदा किया जाने लगा है । इसकी size बढ़ाने के लिए और इनकी पैदावार बढ़ाने के लिए इनको अप्राकृतिक आहार दिया जाता है। इनको गुलाबी रंग देने की लिए भी रसायन का उपयोग होता है । यह फार्म वाली salmon fish भी कैंसर का कारण बन सकती है ।
जानवरों के वजन को बढ़ाने के लिए विभिन्न हार्मोन का उपयोग किया जाता है, ताकि उनमें से ज्यादा से ज्यादा मीट मिल सके । और कई एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग भी किया जाता है जो उन जानवरों को ख़राब स्थिति में भी सही रखतीं है । ये दवाएं वजन को बढानें का काम भी करती हैं । जानवरों में इनके उपयोग से, इनका मीट खाने वालों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है ।
अधिकांश एस्ट्रोजेनिक हार्मोन मनुष्यों में (खासकर महिलाओं में) कैंसर पैदा करने वाले (कार्सिनोजेनिक) होते हैं। कई देश ऐसे हैं, जो ऐसे हार्मोन्स और एंटीबायोटिक के उपयोग पर और ऐसे जानवरों के मीट के पर प्रतिबन्ध लगाये हुए हैं । ये भी कैंसर जैसी बिमारियों का एक कारण है ।
लाल मीट का सेवन करना भी उतना ही नुकसानदायक हो सकता है जितना अन्य कैंसर कारको का सेवन करना । यह भी कैंसर के खतरे को बढाता है ।
प्रोसेस्ड मीट में बेकन, सॉसेज, हॉट डॉग, डेली मीट, बीफ जर्क, हैम शामिल हैं। प्रोसेस्ड मीट बनाने का मुख्य कारण इसको लम्बे समय तक अच्छा रखना और उसके स्वाद को बदलना। मीट को प्रोसेस्ड करने के लिए ऐसे तरीके उपयोग में लाये जाते हैं जिससे यह मीट कैंसर को बुलावा देता है ।
अभी हमने उन 17 कैंसर कारक खाद्य-पदार्थ के बारे में जाना जिनकी वजह से कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अगर आप कैंसर और इस जैसी खतरनाक बिमारियों से बचना चाहते हैं तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें –
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