परिचय:
हनुमान जी, जिन्हें श्री राम के परम भक्त और वानर-राज के रूप में पूजा जाता है, भारतीय धार्मिकता में एक प्रमुख स्थान रखते हैं। उनका जीवन, भक्ति, और शक्ति का अद्भुत उदाहरण है। इस पृष्ठ पर, हम हनुमान जी से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रस्तुत करेंगे, जिसमें उनकी पूजा विधियाँ, व्रत, मंत्र, आरती, और उनके अद्भुत गुण शामिल हैं। यह पृष्ठ आपको हनुमान जी के बारे में गहराई से जानने में मदद करेगा और उनकी भक्ति को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।
हनुमान जी की पूजा हेतू पूजन सामग्री
हनुमान जी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
पूजन सामग्री:
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हनुमान जी की मूर्ति या चित्र:
- पूजा के लिए एक साफ और शुभ हनुमान जी की मूर्ति या चित्र रखें।
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पवित्र जल:
- पूजा में उपयोग के लिए एक कलश में पवित्र जल भरकर रखें। जल से हनुमान जी की मूर्ति को अभिषेक किया जाता है।
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फूल:
- ताजे फूल, जैसे गुलाब, चमेली, या गुड़हल, अर्पित करने के लिए रखें।
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दीपक:
- तेल का दीपक या घी का दीपक, जिसे पूजा स्थल पर जलाया जाता है।
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अगरबत्ती:
- सुगंधित अगरबत्तियाँ, जिनसे पूजा स्थल पर सुगंध फैले और वातावरण पवित्र बने।
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चंदन:
- चंदन का पेस्ट या चंदन की छड़ी, हनुमान जी की मूर्ति पर अर्पित करने के लिए।
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सिंदूर:
- हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करने के लिए, जो विशेष रूप से हनुमान पूजा में महत्वपूर्ण माना जाता है।
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रुई और बत्तियाँ:
- दीपक जलाने के लिए रुई की बत्तियाँ (रुई के बत्तियों से दीपक जलाना), जो पूजा में उपयोग होती हैं।
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मिठाई:
- भोग के लिए मिठाई, जैसे लड्डू, पेड़ा, या अन्य पसंदीदा मिठाइयाँ।
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फल:
- ताजे फल, जैसे केला, सेब, या संतरा, जो हनुमान जी को भोग अर्पित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
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पुजा थाली:
- एक पूजा थाली जिसमें उपरोक्त सामग्री रखी जाती है।
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पंखा या हाथा:
- हनुमान जी की मूर्ति के सामने पंखा या हाथा चलाने के लिए।
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नैवेद्य:
- पूजा में अर्पित करने के लिए विशेष खाद्य सामग्री, जैसे चिउड़े, नारियल, या अन्य पदार्थ।
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कर्पूर:
- पूजा के बाद आरती के समय कर्पूर का उपयोग करके सुगंधित धुआं करें।
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ध्वजा (झंडा):
- अगर संभव हो तो हनुमान जी के झंडे का उपयोग भी पूजा में किया जा सकता है।
पूजा विधि के अनुसार सामग्री का उपयोग:
- जल और चंदन: हनुमान जी की मूर्ति पर अभिषेक और चंदन लगाने के लिए।
- फूल और सिंदूर: हनुमान जी को अर्पित करने के लिए।
- दीपक और अगरबत्ती: पूजा स्थल पर प्रकाश और सुगंध के लिए।
- मिठाई और फल: भोग अर्पित करने के लिए।
- आरती: पूजा के अंत में दीपक के चारों ओर घुमाकर हनुमान जी की आरती करें।
इन सामग्रियों के साथ, हनुमान जी की पूजा करने से भक्ति और श्रद्धा से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
हनुमान जी की पूजा के लिए भोग या प्रसाद
हनुमान जी को अर्पित भोग विशेष रूप से पूजा और भक्ति के समय पर अर्पित किया जाता है। भोग अर्पित करते समय यह सुनिश्चित करें कि वह शुद्ध और ताजे पदार्थ हों। यहाँ हनुमान जी को अर्पित करने के लिए कुछ प्रमुख भोग पदार्थों की सूची दी गई है:
हनुमान जी का भोग:
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लड्डू:
- उपयोग: हनुमान जी को लड्डू अर्पित करना विशेष रूप से लोकप्रिय है। यह भोग विशेष अवसरों पर, जैसे मंगलवार और संकष्ट चतुर्थी पर, अर्पित किया जाता है।
- विधि: घर पर बने ताजे और शुद्ध लड्डू का उपयोग करें।
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पेड़ा:
- उपयोग: मिठे पेड़े भी हनुमान जी को अर्पित किए जा सकते हैं।
- विधि: घर के बने या ताजे पेड़े का उपयोग करें।
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नारियल:
- उपयोग: नारियल भी हनुमान जी को अर्पित किया जाता है। इसे पूजा के दौरान तोड़ा जाता है और भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।
- विधि: नारियल को चीर कर उसे भोग के रूप में अर्पित करें।
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चिउड़े (पपड़ी):
- उपयोग: साधारण और हल्के चिउड़े भी हनुमान जी को अर्पित किए जा सकते हैं।
- विधि: ताजे चिउड़े का उपयोग करें और उन्हें शुद्धता के साथ अर्पित करें।
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फल:
- उपयोग: ताजे फल, जैसे केला, सेब, संतरा, या अंगूर, हनुमान जी को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं।
- विधि: ताजे और शुद्ध फल का चयन करें और उन्हें साफ कर अर्पित करें।
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खीर:
- उपयोग: खीर भी एक शुभ भोग है, जिसे पूजा के समय हनुमान जी को अर्पित किया जा सकता है।
- विधि: घर पर बनी खीर, जिसमें दूध, चावल, और चीनी हो, का उपयोग करें।
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हलवा:
- उपयोग: सूजी या गाजर का हलवा भी हनुमान जी को अर्पित किया जा सकता है।
- विधि: घर पर बने हलवे का उपयोग करें और उसे ताजे रूप में अर्पित करें।
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पानी:
- उपयोग: शुद्ध जल को भी भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।
- विधि: ताजे और स्वच्छ पानी का उपयोग करें।
भोग अर्पित करने की विधि:
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भोग की तैयारी: भोग को साफ और ताजे रूप में तैयार करें। ध्यान दें कि भोग पवित्र और शुद्ध हो।
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भोग अर्पण: पूजा के दौरान हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने भोग अर्पित करें।
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प्रार्थना: भोग अर्पित करते समय, हनुमान जी से प्रार्थना करें कि वे आपकी भक्ति और पूजा को स्वीकार करें और आशीर्वाद दें।
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भोग वितरण: भोग अर्पित करने के बाद, भक्तों में उसे बाँट दें। यह भोग प्रसाद के रूप में स्वीकार किया जाता है और इसे श्रद्धा के साथ ग्रहण करें।
हनुमान जी के भोग को अर्पित करने से भक्तों को आशीर्वाद, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह पूजा और भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हनुमान जी की पूजा विधि
हनुमान जी की पूजा विधि श्रद्धा और ध्यान के साथ की जाती है। यहाँ हनुमान जी की पूजा करने के लिए एक सामान्य विधि दी गई है:
हनुमान जी की पूजा विधि:
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पूजा की तैयारी:
- स्थान: एक स्वच्छ स्थान पर पूजा का आयोजन करें, जहां वातावरण शांत और पवित्र हो।
- सामग्री: पूजन सामग्री में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र, पवित्र जल, फूल, दीपक, अगरबत्ती, चंदन, रुई, रुई के बत्तियाँ, मिठाई, फल, पूजा थाली, और जल से भरी कलश रखें।
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शुद्धि और प्रार्थना:
- शुद्धि: पूजा से पहले हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो जाएँ।
- प्रार्थना: भगवान हनुमान जी से पूजा करने की अनुमति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।
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पुष्प अर्पण:
- हनुमान जी की मूर्ति या चित्र को पुष्प अर्पित करें। यह दिखाता है कि आप उन्हें सम्मान दे रहे हैं।
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दीपक जलाना:
- पूजा स्थल पर दीपक जलाएँ। दीपक की ज्योति से आपके पूजा स्थल को पवित्र बनायें और हनुमान जी को दीपक अर्पित करें।
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चंदन और सिंदूर:
- हनुमान जी की मूर्ति या चित्र पर चंदन और सिंदूर लगाएँ। यह पूजा का एक महत्वपूर्ण भाग है, खासकर हनुमान जी के लिए सिंदूर अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
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अगरबत्ती:
- पूजा स्थल पर अगरबत्ती जलाएँ और हनुमान जी के सामने धूप करें। यह वातावरण को पवित्र करता है और हनुमान जी की उपस्थिति को महसूस करने में मदद करता है।
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मंत्र और चालीसा का पाठ:
- मंत्र: हनुमान जी के प्रमुख मंत्रों का जप करें, जैसे:
- "ॐ हनुमते नमः"
- "श्री राम दूत हनुमान की जय"
- हनुमान चालीसा: हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह हनुमान जी की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करता है।
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अर्पण और भोग:
- हनुमान जी को भोग अर्पित करें, जिसमें मिठाई, फल, और अन्य खाद्य सामग्री शामिल हो सकती है।
- भोग अर्पित करने के बाद, स्वयं भी उसे ग्रहण करें।
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आरती:
- हनुमान जी की आरती करें। आरती करते समय हाथ में दीपक लेकर चारों ओर घुमाएँ और आरती की गान करें।
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ध्यान और प्रार्थना:
- पूजा के अंत में, हनुमान जी का ध्यान करें और उन्हें धन्यवाद दें। अपनी इच्छाओं और मनोकामनाओं को उनके सामने रखें और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
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पूजा का समापन:
- पूजा के अंत में, हाथ जोड़कर हनुमान जी से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनकी कृपा की कामना करें। पूजा स्थल को साफ करें और पूजा की समाप्ति का संकेत दें।
पूजा की सामान्य बातें:
- पूजा के दौरान साफ-सफाई और अनुशासन बनाए रखें।
- भगवान हनुमान के प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करें।
हनुमान जी की पूजा नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, साहस, और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।
हनुमान जी की पूजा का महत्त्व
हनुमान जी की पूजा का महत्त्व भारतीय धार्मिकता और संस्कृति में बहुत अधिक है। हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली, महावीर, और रामदूत के रूप में भी जाना जाता है, उनके प्रति भक्ति और पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं। यहाँ हनुमान जी की पूजा के महत्त्व को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है:
हनुमान जी की पूजा का महत्त्व:
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विघ्न नाशक:
- हनुमान जी की पूजा विघ्नों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है। वे भक्तों के जीवन से हर प्रकार की कठिनाई और विघ्न को समाप्त करने में मदद करते हैं।
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संकटमोचन:
- हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन के सभी संकट और कठिनाइयों को पार किया जा सकता है। यह मान्यता है कि हनुमान जी की भक्ति से कठिनाइयों में भी आशा और समाधान प्राप्त होता है।
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साधना और शक्ति:
- हनुमान जी की पूजा से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है। भक्तों को आत्म-विश्वास, शक्ति, और साहस प्राप्त होता है। वे परिश्रम और मेहनत में सफलता प्राप्त करने में भी मदद करते हैं।
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स्वास्थ्य और लंबी आयु:
- हनुमान जी की पूजा से स्वास्थ्य लाभ होता है। यह माना जाता है कि उनकी भक्ति से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और लंबी आयु प्राप्त होती है।
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भक्ति और समर्पण:
- हनुमान जी की पूजा भक्ति और समर्पण का आदर्श उदाहरण है। वे भगवान राम के प्रति अडिग भक्ति और समर्पण का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से भक्तों को भी भक्ति और समर्पण की भावना मिलती है।
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धैर्य और संयम:
- हनुमान जी की पूजा से धैर्य और संयम में वृद्धि होती है। वे कठिन परिस्थितियों में भी संयम बनाए रखने और कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं।
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सद्गुण और नैतिकता:
- हनुमान जी को सद्गुणों का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा से भक्तों में ईमानदारी, निष्ठा, और नैतिकता की भावना उत्पन्न होती है।
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पारिवारिक सुख और समृद्धि:
- हनुमान जी की पूजा से पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है। परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और समझ में वृद्धि होती है।
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कर्म और धर्म:
- हनुमान जी की पूजा से कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। वे सही मार्ग पर चलने और धर्म को निभाने में सहायता करते हैं।
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प्रेरणा और मार्गदर्शन:
- हनुमान जी का जीवन और उनका कार्य भक्तों को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करता है। वे आदर्श भक्ति और सेवा के प्रतीक हैं और जीवन में सही दिशा चुनने में मदद करते हैं।
हनुमान जी की पूजा और भक्ति से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है बल्कि यह जीवन की सभी पहलुओं में सुख, शांति, और सफलता की प्राप्ति में भी सहायक होती है। हनुमान जी की भक्ति से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और उन्नति संभव होती है।
हनुमान जी के मंत्र:
हनुमान जी के मंत्रों का जप विशेष रूप से उनकी कृपा प्राप्त करने और संकटों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। यहाँ हनुमान जी के प्रमुख मंत्रों की सूची दी गई है:
हनुमान जी के प्रमुख मंत्र:
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हनुमान बीज मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमते नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी को सम्मान और श्रद्धा अर्पित करने का है।
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हनुमान चालीसा के प्रारंभिक श्लोक:
- मंत्र: "श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।"
- अर्थ: यह मंत्र गुरु के चरणों की धूल से अपने मन को शुद्ध करने की प्रार्थना करता है।
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हनुमान अष्टाक्षरी मंत्र:
- मंत्र: "ॐ श्री महावीराय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी के महावीर स्वरूप की पूजा करता है।
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हनुमान रुद्र मंत्र:
- मंत्र: "ॐ श्री हनुमते रुद्राय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी के रुद्र स्वरूप की पूजा करता है और उनकी शक्ति प्राप्त करने की कामना करता है।
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हनुमान सप्तशती मंत्र:
- मंत्र: "ॐ नमो भगवते श्री हनुमानाय महाकायाय च"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी को नमस्कार करते हुए उनके महाकाय स्वरूप की महिमा का उल्लेख करता है।
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हनुमान स्तोत्र:
- मंत्र: "हनुमान दंडक: य: श्रीराम चिरंजीव:।"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी के बल और अजेयता का वर्णन करता है।
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हनुमान वाण मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान वाणाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी के वाण स्वरूप को अर्पित करता है और उनकी शक्ति प्राप्त करने की प्रार्थना करता है।
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हनुमान यंत्र मंत्र:
- मंत्र: "ॐ श्री हनुमंताय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान यंत्र की पूजा और वशीकरण के लिए उपयोग किया जाता है।
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हनुमान संजीवनी मंत्र:
- मंत्र: "ॐ श्री हनुमान संजीवनी महाकायाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र संजीवनी बूटी के लिए प्रार्थना करता है, जो जीवन और स्वास्थ्य की प्रतीक है।
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हनुमान शरणागति मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान दैवी जय जय जय हनुमान"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी के विजय और कृपा की कामना करता है।
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हनुमान विजय मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमते सर्वशक्तिमय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी की सर्वशक्तिमत्ता की पूजा करता है और विजय प्राप्त करने की प्रार्थना करता है।
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हनुमान महाक्रूरी मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान महाक्रूरी दुष्टनाशाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी के दुष्टों और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने की शक्ति को स्वीकार करता है।
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हनुमान भक्ति मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान भक्तयुत्तम नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करता है।
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हनुमान शांति मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमते शांति प्रवर्तनाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए हनुमान जी की पूजा करता है।
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हनुमान सुरक्षा मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान रक्षा सिद्धाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी से सुरक्षा और संरक्षण प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करता है।
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हनुमान संजीवनी मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान संजीवनी वर्द्धयाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र संजीवनी शक्ति की प्राप्ति और जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए है।
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हनुमान शक्ति मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान बलशाली सर्वशक्तिमान नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी की अपार शक्ति और बल को सम्मानित करता है।
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हनुमान मंगलमंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान मंगलार्थाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र मंगलकामनाओं की प्राप्ति के लिए हनुमान जी की पूजा करता है।
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हनुमान संजीवनी बूटि मंत्र:
- मंत्र: "ॐ संजीवनी बूटि महाक्रूरी हनुमानाय नमः"
- अर्थ: यह मंत्र संजीवनी बूटि की शक्ति और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए है।
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हनुमान त्रिभुवन मंत्र:
- मंत्र: "ॐ हनुमान त्रिभुवनादिर नमः"
- अर्थ: यह मंत्र हनुमान जी को त्रिभुवन (तीन लोकों) के आदिदेवता के रूप में पूजा करता है।
इन मंत्रों का जप नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, साहस, और समृद्धि प्राप्त होती है। हनुमान जी की भक्ति और श्रद्धा के साथ इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और कठिनाइयों का समाधान होता है। इन मंत्रों का जप करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शक्ति, साहस, और सकारात्मकता की वृद्धि होती है। हनुमान जी के मंत्रों को सही ढंग से और श्रद्धा के साथ जाप करने से भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
हनुमान जी की आरती
श्री हनुमान अष्टकशरी आरती एक महत्वपूर्ण आरती है जो हनुमान जी की भक्ति और उनके गुणों की महिमा का वर्णन करती है। यह आरती भक्तों को हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक माध्यम है।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
राम दूत अतुलित बलधामा,
अंजनि पुत्र महा बलधामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुंचित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे,
काँधे मूँज जनेऊ साजे।
संकर सुवन केसरी नंदन,
तेज प्रताप महा जग बंदन।
विद्यावान गुनी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
बिकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे,
रामचन्द्र के काज संवारे।
लाय संजीवनी लखन जियाए,
श्री रघुबीर हरशी उर लाए।
रघुपति कीनी बहुत बड़ाई,
तुम्हि मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कही श्रीपति कंथ लगावैं।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,
नारद शारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिकपाल जहां ते,
कबि कोविद कहि सके कहां ते।
तुम्हरो मंत्र बिवीषण माना,
लंकेश्वर भए सब जग जाना।
तुम्हरे भजन राम को पावैं,
जनम जनम के दुख बिसरावैं।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई,
जहां जन्म हरि भक्त कहाई।
ऊँघ प्रनतान वण है हनुमान,
गाव पराक्रम हरि के दूत।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
श्री हनुमान चालीसा
॥दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर विमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
॥चौपाई॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनी -पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
महावीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥
शंकर सुवन केसरीनन्दन ।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
विकट रूप धरि लंक जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
लाय संजीवनी लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
सहस बदन तुम्हारो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥
आपन तेज सह्मारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुह्मारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
राम रसायन तुह्मरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुह्मरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
॥दोहा॥
पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
हनुमान जी के व्रत
हनुमान जी के व्रत भक्तों द्वारा उनकी पूजा और आराधना के विशेष अवसर होते हैं। ये व्रत विशेष रूप से हनुमान जी की भक्ति और कृपा प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। यहाँ हनुमान जी के प्रमुख व्रतों की सूची दी गई है:
प्रमुख हनुमान व्रत
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मंगलवार व्रत (हनुमान मंगलवार)
- विवरण: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रति उपवासी रहते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि मंगलवार को हनुमान जी की पूजा से सभी संकट दूर होते हैं और विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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हनुमान जयंती
- विवरण: हनुमान जयंती, हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह व्रत चैत्र महीने की पूर्णिमा को किया जाता है। इस दिन विशेष पूजा, आरती, और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
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श्रीराम नवमी
- विवरण: श्रीराम नवमी के दिन भी हनुमान जी की पूजा का महत्व है। इस दिन श्रीराम के जन्म के साथ हनुमान जी की आराधना भी की जाती है।
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दशहरा (विजयादशमी)
- विवरण: दशहरा के अवसर पर हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष पूजा और यज्ञ आयोजित किए जाते हैं।
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कृष्णाष्टमी (कृष्ण जन्माष्टमी)
- विवरण: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। हनुमान जी की आरती, भजन, और कीर्तन किया जाता है।
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संकट चतुर्थी
- विवरण: संकट चतुर्थी पर भी हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रति व्रत रखते हैं और हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं।
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रामनवमी व्रत
- विवरण: रामनवमी के अवसर पर भी हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन राम-भक्ति और हनुमान भक्ति के साथ व्रत किया जाता है।
पूजा विधि
- स्नान और शुद्धता: व्रति को सुबह स्नान करके शुद्ध होना चाहिए।
- पुण्य स्थान पर जाना: हनुमान जी के मंदिर जाकर पूजा करनी चाहिए।
- सप्ताहिक पूजा: हनुमान जी की प्रतिमा को साफ करके उन्हें फूल, तुलसी के पत्ते, और मिठाई चढ़ानी चाहिए।
- हनुमान चालीसा और आरती: हनुमान चालीसा का पाठ और आरती करनी चाहिए।
- प्रसाद: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण और सेवन करना चाहिए।
- उपवास: व्रति को उपवासी रहना चाहिए और विशेष आहार में फल और दूध का सेवन कर सकते हैं।
इन व्रतों का पालन करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है।
हनुमान जी के व्रत के नियम
हनुमान जी के व्रत के नियम पालन करने से व्रति की भक्ति और व्रत की प्रभावशीलता बढ़ती है। निम्नलिखित नियम हनुमान व्रत के दौरान पालन करने योग्य होते हैं:
1. स्नान और शुद्धता
- स्नान: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्वच्छता के लिए स्नान करें।
- शुद्धता: शरीर और मन की शुद्धता बनाए रखें।
2. उपवासी रहना
- उपवास: अधिकांश हनुमान व्रत के दौरान उपवास रखा जाता है। उपवास के दौरान केवल फल, दूध, और पानी का सेवन करें।
- सत्यता: उपवास के दौरान झूठ बोलने या किसी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें।
3. प्रस्तावना और ध्यान
- प्रस्तावना: व्रत की शुरुआत में एक पवित्र स्थान पर जाकर हनुमान जी के प्रति प्रस्तावना करें।
- ध्यान: पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखकर हनुमान जी के ध्यान और साधना में लीन रहें।
4. विशेष पूजा और अर्चना
- मंदिर दर्शन: हनुमान जी के मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करें। यदि मंदिर जाना संभव न हो, तो घर पर ही विशेष पूजा करें।
- आरती और भजन: हनुमान जी की आरती और भजन-कीर्तन करें। हनुमान चालीसा का पाठ भी करें।
5. प्रसाद और भोग
- प्रसाद: पूजा के बाद हनुमान जी को विशेष भोग अर्पित करें और प्रसाद वितरित करें।
- भोग: भोग में विशेष रूप से गुड़, चने, और फल अर्पित करें।
6. अवधि और समय
- सही समय: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा करें और दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- समय: व्रत के दिन तय समय पर पूजा और अर्चना का पालन करें।
7. पुण्य कार्य और दान
- पुण्य कार्य: व्रत के दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान करें।
- सहायता: जरूरतमंदों की मदद करें और पुण्य कार्य करें।
8. व्रत का समापन
- समापन: व्रत के अंत में हनुमान जी के प्रति धन्यवाद प्रकट करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
- प्रसाद: पूजा के प्रसाद को पूरे परिवार में वितरित करें और उसका सेवन करें।
इन नियमों का पालन करने से व्रत की प्रभावशीलता बढ़ती है और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
हनुमान जी व्रत के महत्त्व
हनुमान जी व्रत के महत्त्व विशेष रूप से हनुमान जी की भक्ति, शक्ति, और कृपा को दर्शाता है। हनुमान जी व्रत का पालन करने से अनेक आध्यात्मिक, धार्मिक, और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ हनुमान जी व्रत के महत्त्व को समझाने के लिए प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:
1. भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति
- भक्ति का संवर्धन: हनुमान जी व्रत भक्तों के मन में हनुमान जी के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण को प्रकट करता है। यह व्रत उनके गुणों और शक्तियों का स्मरण कराता है।
2. संकट मोचन
- संकट से मुक्ति: हनुमान जी को संकट मोचन और बाधाओं का नाशक माना जाता है। इस व्रत को करने से जीवन की समस्याओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।
3. शक्ति और साहस की प्राप्ति
- आत्मविश्वास: हनुमान जी की पूजा करने से मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है। यह व्रत साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जो जीवन के कठिनाइयों का सामना करने में सहायक होता है।
4. स्वास्थ्य और कल्याण
- स्वास्थ्य लाभ: व्रत के दौरान उपवास रखने से शरीर की विषाक्तता कम होती है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। यह शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।
5. आध्यात्मिक प्रगति
- आध्यात्मिक उन्नति: हनुमान जी व्रत के माध्यम से भक्त आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर होते हैं। यह व्रत ध्यान और साधना के लिए एक विशेष समय प्रदान करता है।
6. सामाजिक और पारिवारिक समरसता
- पारिवारिक सहयोग: हनुमान जी व्रत पारिवारिक एकता और सहयोग को प्रोत्साहित करता है। परिवार के सदस्य मिलकर पूजा और व्रत करते हैं, जिससे पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है।
7. धार्मिक अनुष्ठान और पुण्य
- धार्मिक अनुशासन: यह व्रत धार्मिक अनुशासन और परंपराओं का पालन करने का एक तरीका है। हनुमान जी के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करता है।
- पुण्य अर्जन: व्रत के माध्यम से पुण्य अर्जन होता है और यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
8. सामाजिक जिम्मेदारी और दान
- दान और सहायता: व्रत के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को दान और सहायता प्रदान करने की परंपरा है, जो सामाजिक जिम्मेदारी को प्रकट करती है।
हनुमान जी व्रत का पालन करके भक्त उनकी विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जिससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष:
हनुमान जी की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा रखना जीवन को दिशा और शक्ति प्रदान करता है। उनकी पूजा, व्रत, और मंत्रों के माध्यम से हम अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को पार कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं। हनुमान जी के गुण और उनकी भक्ति से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इस पृष्ठ की जानकारी से आप हनुमान जी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपनी भक्ति को और भी गहरा बना सकते हैं।
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