अधिकतर लोगों को यही लगता है कि पश्चिम-मुखी घर अच्छे नहीं होते, परन्तु लोगों के मन में यह गलत अवधारणा है। दुनिया में सभी दिशाओं वाले घर देखने को मिलते हैं क्यों कि अगर एक सड़क पर एक घर पूर्व-मुखी है तो उसके सामने वाला घर पश्चिम मुखी ही होता है और इसी प्रकार अगर एक घर उत्तर मुखी है तो स्वाभाविक है कि उसके सामने वाला मकान विपरीत दिशा में ही होता है अर्थात् दक्षिण-मुखी। शास्त्रों में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि पश्चिम-मुखी घर कभी भी अच्छा नहीं होता या सिर्फ उत्तर-मुखी घर ही अच्छे होते हैं। पश्चिम-मुखी घर के वास्तु टिप्स हिंदी में (West Facing House Vastu in Hindi) बताने वाले हैं जिनकी सहायता से घर को वास्तु के अनुरूप बनाया जा सकता है।
पश्चिम मुखी घर सामाजिक कार्यकर्ता, अध्यापक, नेता या राजनीतिज्ञ के लिए शुभ माने जाते हैं।
सभी दिशाओं वाले घर या प्लाट होते हैं और सभी के लिए वास्तु-शास्त्र में दिशाओं के अनुसार कुछ तरीके बताये गए हैं, जिनकी मदद से आप अपने घर को शुभ फल देने वाला और समृद्ध बना सकते हैं।
आइये जानते हैं पश्चिम-मुखी घर के वास्तु हिंदी में (West Facing House Vastu in Hindi) जो कि आपके घर को एक सकारात्मक ऊर्जा से भर दे।
अगर आपका घर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी है तो आपको ये उपाय जरुर करना चाहिए।
जिनका मुख्य द्वार या दरवाजा पश्चिम की ओर खुलता है वह पश्चिम मुखी घर या भवन या प्लाट कहलाते हैं।
वास्तु के अनुसार पश्चिममुखी घर के दरवाजे को किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त (Damage) नहीं होना चाहिए यदि ऐसा है तो इसे जल्द से जल्द ठीक करा लें। मुख्य दरवाजे के सामने कोई पेड़ या खम्बा नहीं होना चाहिए।
1.यदि आप ऐसे घर में रहते हैं तो वास्तु के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व के स्थान को खाली रखना चाहिए और घर के दक्षिण-पश्चिम के स्थान को खाली न रखें ऐसा करना पश्चिम मुखी घर के अनुसार सही नहीं माना जाता।
2.पश्चिम-मुखी घर में पश्चिमी कोने की ओर या कोने में भारी सामान रखें जैसे सोफा, कपडे धोने वाली मशीन आदि ऐसा करने से और इन्हें सही स्थान पर रखने से इनके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर की सबसे अच्छी दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) मानी जाती है। अगर वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए घर में मंदिर रखा जाए तो यह घर और उस घर में रहने वाले सदस्यों के लिए सुख-शांति और समृद्धि लाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर दिशा का कुछ महत्व और ब्रह्मांडीय ऊर्जा होती है।
वास्तु के अनुसार रसोई का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है वास्तु के अनुसार रसोईघर दक्षिण-पूर्व(आग्नेय) दिशा में होना अच्छा माना जाता है। यदि पश्चिम मुखी घर में रसोई का स्थान भी पश्चिम में है तो इसके लिए आपको घर के उत्तर-पूर्व में एक ओर रसोईघर का निर्माण करना चाहिए यदि बड़ी रसोई का निर्माण न कर सकें तो छोटी सी रसोई अवश्य बनाना चाहिए। इस से पॉजिटिव और नेगेटिव एनर्जी में संतुलन बना रहता है। घर के दक्षिण-पश्चिम में किचन न रखें। खाना बनाते समय मुख पूर्व के तरफ होना सही रहता है।
1.मास्टर बेडरूम (Master Bedroom) बहुमंजिला घरों में सबसे ऊपर व रूम की दक्षिण-पश्चिम दिशा होना चाहिए।
2.ऐसे घरों में गेस्ट रूम (Guest Room) का स्थान उत्तर-पश्चिम में हो सकता है।
3.ऐसे घरों में लिविंग रूम (Living Room) उत्तर-पूर्व या उत्तर या पूर्व दिशा में होना सही होता है।
4.बच्चों का कमरा (चाइल्ड रूम) दक्षिण दिशा में होना सही रहता है। बच्चों के कमरे का दरवाजा हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में खुलना चाहिए। इसके अलावा बच्चों के बेडरूम को पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में भी बना सकते है।
5.स्टडी रूम (Study Room) पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
6.डाइनिंग रूम (Dining Room) भी पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
यदि घर में वाशरूम (शौचालय) दक्षिण-पश्चिम हिस्से में है तो वाशरूम का गेट हमेशा बंद रखना चाहिए इस से नेगेटिव एनर्जी नहीं फैलती।
घर में पानी की टंकी जो छत पर रखी हो उसे दक्षिण-पश्चिम में रखना चाहिए इस से पॉजिटिव एनर्जी आती है और अगर पानी की टंकी जमीन के अन्दर बनी है तो इस अंडरग्राउंड टैंक को कभी दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं बनवाना चाहिए।
घर में वास्तु नियमों के अनुसार दीवार के रंगों का चयन करें। ऐसे घरों में बहुत अधिक चमकीले रंगों का उपयोग नहीं करना चाहिए। पश्चिम-दिशा वाले घरों की दीवारों पर क्रीम या सफेद या पीच या हल्का पीला जैसे लाइट कलर्स का उपयोग करें।
1.पश्चिम-मुखी घर में तिजोरी या लॉकर का स्थान ऐसा होना चाहिए कि वह घर के किसी भी कोने में न हो मुख्यतः उत्तर-पश्चिम दिशा के कोने में बिलकुल न हो, इसको कोने से थोड़ा दूर रखना चाहिए। तिजोरी या लॉकर का मुख उत्तर की ओर होना चाहिए और उसके पीछे का हिस्सा दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
2.पानी का फव्वारा अगर है आपके घर में तो उसे उत्तर-पूर्व दिशा में कोने में होना चाहिए।
3.यदि आप ऐसे घर में रहते हैं तो वास्तु के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व के स्थान को खाली रखना चाहिए और घर के दक्षिण-पश्चिम के स्थान को खाली न रखें ऐसा करना पश्चिम मुखी घर के अनुसार सही नहीं माना जाता।
4.पश्चिम-मुखी घर में पश्चिमी कोने की ओर या कोने में भारी सामान रखें जैसे सोफा, कपडे धोने वाली मशीन आदि ऐसा करने से और इन्हें सही स्थान पर रखने से इनके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।
5.अगर घर गैरेज है तो उसमें ढलान होना चाहिए जो कि उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो।
6.पश्चिम द्वार वाले घर की दक्षिण-पश्चिम की बाउन्ड्री वाली दीवार ऊँची व अन्य तरफ की दीवारों से मोटी होना चाहिए।
7.घर में किसी भी प्रकार का पानी का रिसाव अच्छा नहीं होता या अशुभ माना जाता है अतः इसे जल्दी से जल्दी ठीक कराएं।
8.उत्तर दिशा और पूर्व दिशा में अधिक खिड़कियाँ या खुले स्थान होना चाहिए।
9.घर के बीच में सीढ़ियाँ या खम्बा नहीं होना चाहिए।
10.ऐसे घरों के दक्षिण-पश्चिम में एक अशोक का पेड़ लगायें। और इसी दिशा में सुबह-शाम एक दीपक जलाएं।
घर का मुख्य द्वार किसी भी दिशा में क्यों न हो अगर उस घर को वास्तु के नियमों के अनुसार बनवाया जाये तो अवश्य ही वह शुभ फलदायी बन जाता है। इसके अलावा आप इस कार्य हेतु वास्तुशास्त्री का सहारा ले सकते हैं।
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